Seal Bhang Jija Sex
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम जिया है। मेरी उम्र 40 वर्ष है। आज मैं आप सभी को अपने जीवन का एक सच और उससे जुड़ी एक सच्ची घटना सुनाने जा रही हूं। जिसने मेरे पूरे जीवन को बिल्कुल बदलकर रख दिया। दोस्तों मेरी चुदाई होने से पहले मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी चुदाई कौन करेगा। जब मेरी पहली चुदाई खत्म हुई तो मैं सोचने लगी कि मैंने यह सब क्या किया? Seal Bhang Jija Sex
दोस्तों मेरे फिगर का आकार 36-32-38 है। हर एक लड़की का सेक्सी होने का मन होता है, वो मन ही मन चाहती है कि हर किसी को वो अपनी तरफ अपना सेक्सी बदन दिखाकर आकर्षित कर ले और उसको अपना बनाने का मन होता है। लेकिन जिस वक्त मेरे साथ पहली बार संभोग किया गया था उस वक्त मेरी उम्र बहूत कम थी।
बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र मात्र पंद्रह साल की थी और जब पहली बार मेरी पिरियड हुई थी। पिरियड के कुछ दिनों के बाद ही मेरी सील भंग कर दी गयी थी। उसकी वजह मेरे बड़े जीजा थे जो मुझसे उम्र में कम से कम 30 साल बड़े थे। दोस्तो अब मैं अपनी कहानी पर आती हूं। मेरी बड़ी दीदी मुझसे उम्र में काफी बड़ी हैं।
उनकी शादी जब हुई थी उस वक्त मेरी उम्र 5 साल की थी। मेरी दीदी मेरी मां के सामान थी। उनकी शादी के बाद उनका आना-जाना लगातार घर पर होता रहता था। दीदी की शादी लोकल हुई थी तो उनको आने जाने में कोई दिक्कत नहीं होती थी। मैं बचपन से ही गोल मटोल थी। मेरे जीजा का नाम अनिल था। वे देखने में बेहद खुबसूरत थे।
हमारे पूरे परिवार में उनके जैसा स्मार्ट कोई नहीं था। वे बिल्कुल एक फिल्मी हीरो के जैसे दिखते थे। वे जब भी घर आते थे तो मेरे लिए खेलने के खिलौने और काफी सारे चाकलेट लाते थे। घर की छोटी थी तो मुझे भरपूर प्यार मिलता था। मेरे घर के सदस्य जीजा को बहूत सम्मान और प्यार देते थे।
आप ये समझ लो कि मेरा बचपन आधा मेरे घर में तो आधा दीदी के घर में बीता। जीजा मुझे अपनी बेटी की तरह प्यार करते हैं ऐसा मेरा सोचना था। वे मुझे गोद में बैठाते। अपने गालों को मेरी गालों पर रगड़ते। मुझे किस करते। इन सब बातों से कोई बुरा नहीं मानता था क्योकि सब को ये लगता था कि ये उनका मेरे प्रति लगाव के कारण है।
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मेरे मां-पापा को उनपर अगाध विश्वास था। इसी तरह वर्ष बितते रहे और मेरे जीजा मेरे प्रति प्यार बढता रहा। अब मैं 9वीं की परीक्षा दे रही थी। परीक्षा खत्म हो गया था और इसी दौरान मुझे पहली बार पिरियड हुआ। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे साथ हुआ क्या था। हमलोग के परिवार में इन बातों का चर्चा भी नहीं होता था।
मेरे शरीर में परिवर्तन हो रहा था। मैं चिड़चिड़ाई रहती थी। ऐसे में एक दिन जीजा घर आए और उन्होने मां-पापा से कहा कि जिया का परीक्षा खत्म हो गया है। दीदी ने इसे बुलाया है। कुछ दिन वहां रहेगी तो उसे अच्छा लगेगा। अच्छा रहेगा ये कुछ दिन दीदी के साथ रहे। रिजल्ट आने के बाद मैं इसे यहां पहुंचा दूंगा। मेरे मां-पापा को कोई एतराज नहीं था।
मैं भी खुश थी कि दीदी के घर जाऊंगी। मैं अपने कपड़े बैग में पैक कर जीजा के कार में पीछे बैठ गयी। जीजा ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठकर मेरे घर से निकले। लगभग आधा कीलोमीटर जाने के बाद उन्होने पान की दुकान के पास ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहा और एक पान और मेरे लिये टॉफी लाने के पैसे दिए।
इस दौरान जीजा अगली सीट से मेरे पास आकर पीछे बैठ गये। ड्राइवर जब तक पान लगवाकर ला रहा था। वे कभी मेरे गाल को छूते। मेरी जांघ को छूते और इधर उधर की बाते करते। वे इस दौरान मेरे छातियों को दो-तीन बार छू लेते। ऐसा नहीं था कि वे पहली बार मेरे साथ ऐसा कर रहे थे। वे बचपन से लेकर अब तक मेरे साथ यही हरकत करते थे।
मुझे कुछ समझ नहीं आता था। सच पूछा जाय तो मैं इस मामले में उम्र के उस दौर में बिल्कुल अनाड़ी थी। ड्राइवर आया। उसने जीजा को पान और चाकलेट दी। जीजा मुझे चाकलेट दिये। मैं और जीजा घर पहूंचे। दीदी मुझे देखकर बेहद खुश हुई। एक बात जो मैने नोटिस की थी कि मेरी दीदी जो बहूत पढी लिखी नहीं थी।
वो मेरे जीजा से बेइंतहा प्यार करती थी और उन्हें जीजा पर पूरा विश्वास था। मैं जीजा के घर पहूंची और मुझे एक कमरा मिला। घर बड़ा था। मैं अपने कमरे में सो गयी। शाम हुआ मैं दीदी के साथ बैठ कर गप्पे हांक रही थी। इतने में जीजा आये और उन्होने दीदी से कहा कि आज रात का खाना मत बनाओ। मैं होटल से खाना ले आऊंगा।
हम लोग घर पर साथ में भोजन करेंगे। इतना कहने के बाद जीजा ने मुझे तैयार होने को कहा। बोला कि तैयार हो जाओ स्कूटर से चलते हैं होटल। तुम घूम भी लोगी और हमलोग खाना लेकर आएंगे। क्या करोगी घर में बैठकर। मैं घूमने में माहिर थी, बचपना था। मैं तुरंत तैयार हो गयी। दीदी ने भी हामी भर दी थी। तैयार होकर मैं जीजा के स्कूटर पर बैठी और उनके साथ चल दी।
हमलोग होटल पहुंचे। जीजा ने खाने के पार्सल का आर्डर दिया। उसने कहा कि जिया बाहर क्या करोगी। चलो अंदर चलकर बैठते हैं जब तक पार्सल तैयार होता है। हमलोग अंदर गये। होटल के अंदर टेबल-कुर्सियां लगी हुई थी। जीजा बाहर ना बैठकर वहां जो केबीन बना हुआ था मुझे उसके अंदर ले गये।
वहां उन्होने कुछ खाने का आर्डर दिया और मेरे सामने ना बैठकर मेरे बगल में बैठ गये। वेटर जब तक खाना लाता वो केबीन के दरवाजे को सटाकर कभी मेरे गाल, कभी जांघ और कभी मेरे हथेलियों को खुजाते। इस दौरान वे मुझे किस भी करते और मेरे चुचियों को दबाते। दबाते-दबाते वे कहते अब तूम लेने लायक हो गयी हो।
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मैने तुम्हारे लिये बहूत तपस्या की है। तुम्हारे छाती बड़े और कडक हो गये है और वे मेरे चुचियों को कसकर दबा देते थे। मैं आऊच करके उछल पड़ती थी और मुझे बहूत दर्द होता था। मुझे समझ नहीं आता था कि मेरा जीजा चाहता क्या है। मैं हंस देती थी और कहती थी जीजा दर्द कर रहा है। वेटर खाना लेकर आया तो उसे भी जीजा ने पैक करवा लिया।
वो सिर्फ केबीन में अपने मजे के लिये मुझे लेकर गये थे। हमलोग खाना लेकर आये। रात को खाये और सो गये। जीजा का जो वात्सल्य प्रेम था वो वासना में बदल चूका था। पता नहीं उन्होने मुझे वात्सल्य प्रेम किया था कि नहीं। क्योंकि वे बचपन से ही मेरे साथ ऐसी हरकत करते आ रहे थे। अब उनकी वासना और बदमाशियां बढती जा रही है।
उनकी ये हरकते अब मेरे सीने को छोड़कर मेरे नितंबो और चूत पर जा रही थी। वे कभी भी मेरे प्राइवेट पार्टस को अपने हाथों से दबा देते थे। वे मेरे इर्द-गिर्द मंडराते रहते थे। मैं उनकी इन हरकतों की आदी हो गयी थी और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था। वे मुझे घूमाने के बहाने कहीं भी शुरू हो जाते थे। किसी ने भी उनपर शक नहीं किया था।
मैंने अपने जीवन मे एक चीज अनुभव किया कि लडकियों का पहला सेक्स उनके घर के ही कोई नीजी सदस्य के द्वारा होता है। उनका सीलभंग कोई नीजी रिश्तेदार ही करता है। समाज और लोग लिहाज रिश्तेदारी को बचाने की खातिर बहूत लोग कुछ बोल नहीं पाती है तो वहीं कुछ लोग घर में जवानी और संभोग की मजा लूटती हैं।
मैं जीजा के घर पर थी। उनकी हरकते बढती जा रही थी। वे मुझे देखते तो मुझसे चिपकने लग जाते। तरह तरह का कॉम्प्लीमेंट मुझको देते। एक दिन उन्होने कहा- मेरी शादी तुम्हारी दीदी ने नही बल्कि तुमसे होनी चाहिए थी। वो मुझे रोज कहीं कहीं घुमाने ले जाते। कभी आइस क्रीम खाने ले जाते। कभी सिनेमा दिखाने। मेरे लिये वो पागल थे।
एक दिन दीदी अपने मुहल्ले की महिलाओं के साथ किसी मन्दिर के दर्शन करने गयी थी। मैं अपने कमरे में अकेली थी। ऐसे में अचानक जीजा मेरे कमरे में आयें और मुझे पकड़कर गले से लगा लिया। मैं सकपका गयी। लेकिन उनकी इन हरकतों की मैं आदि हो चूकी थी। मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा था।
मैंने भी जीजा को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनका आलिंगन करने लगी। धीरे धीरे हम अपनी मयार्दा भूल गये और एक दुसरे को चूमने चाटने लगा। जीजा ने मेरी नाजुक गुलाब के पंखुड़ी जैसे कुवारे होठो को पहने हाथ से छुआ। फिर अपने होठ मेरे कुवारे होठो पर रख दिए। फिर जीजा मुझे चूमने लगे और मेरे होठ पीने लगे।
मैं उसके साथ सारी हदे पार करती चली गयी। जैसे मैं उनके वश में आ गयी थी। धीरे धीरे वो मेरे कान को चबाने लगे। मुझे गुदगुदी होने लगी। बड़ा अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे जीजा मेरे गले की पतली खाल को हल्का हल्का दांत से कुतरने लगे। मुझे तो पुरे शरीर में झुनझुनाहट होने लगी। जीजा आगे बढ़ने लगे। मुझे उनको इसी वक़्त रोक देना चाहिए था।
पर ना जाने क्यों मैं कमजोर हो गयी थी। जीजा ने मेरा दुप्पटा मेरे सीने से निकाल कर हटा दिया। छातियों पर उनके हाथ नाचने लगे। कभी धीरे कभी कस के वे मेरे उरोजों को दबा रहे थे। मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे जीजा आगे बढ़ते चले गये। वो जोर जोर से मेरे संतरे जैसे दूध दाबने लगे। इसे नीबू से संतरा उन्होने ही बनाया था।
कई सालों से हाथ फेर-फेर के इसे सही आकार उन्होने ही दिया था। मैंने उनको कुछ ना कहा। जबकि मुझे मुझे उनको इसी समय रोक देना चाहिए था। हम दोनों अपनी अपनी हदे पार कर गये। फिर जीजा मुझे बिस्तर पर ले गये। घर में कोई नही था। जीजा मेरी चूत का दर्शन करना चाहते थे। शायद मैं भी ये सब चाहती थी। उन्होंने मेरे दोनों हाथ उपर कर दिए।
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मैं जानती थी क्यूं। फिर जीजा ने मेरा सफेद रंग का सूट निकाल दिया। जैसे ही सूट उतरा मैंने दोनों हाथों से अपने दूध छुपाने की कोशिश की। मैंने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी। 26 साइज था इसका। जीजा मुझे चूमने लगे। मैं सब समझ रही थी। वो चाहते थे की मैं अपने हाथ अपनी इज्जत अपनी कड़क छातियों से हटा लूं।
पर मैंने ऐसा नही किया। जीजा मुझे लाख चुमते चाटते रहे, पर मैंने अपने हाथ नही हटाये। साली जी? क्या तुम चुदाई के बारे में कुछ जानती हो? जीजा ने मेरे कान में फुसफुसाकर बोला। मैं कुछ नही बोली। पर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। मैंने ना में सर हिला दिया। अरे साली जी ! चुदाई दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज होती है!
जिन्दगी में तुमको एक बार जरुर चुदवाना चाहिए। दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज को क्या तुम नही पाना चाहती हो? जीजा बोले- साली जी ! अपने हाथ हटाओ अपनी नर्म नर्म छातियों से। दोस्तों, मुझे ना चाहते हुए भी अपनी नर्म नर्म नई नई कड़क छातियों से हाथ हटाने पड़े। जीजा ने मेरी पीठ में हाथ डाल दिया और मेरी ब्रा निकाल दिए। “Seal Bhang Jija Sex”
हाय दोस्तों, कितनी बड़ी बात थी। एक भारतीय लड़की किसी के सामने बिना कपड़ों के नहीं आती है। और मैंने अपनी इज्जत जीजा के सामने रख दी। मेरे हाथ तुरंत मेरी दोनों नंगी बेहद नर्म मलाई जैसी खूबसूरत छातियों को छिपाने दौड़े पर जीजा के हाथ वहां उससे पहले पहुंच गये। उन्होंने मेरी छातियों पर अपने हाथ रख दिए। मेरा जिया धक्क से हो गया।
जीजा धीरे धीरे मेरी नंगी नर्म छातियों पर हाथ फेरने लगे। उन्होंने मेरे हाथ निचे कर दिए। ये सब रंगरेलियां चलती रही। बड़ी देर बाद मैं नार्मल फील कर पायी। अब मैंने पाया की जीजा धीरे धीरे मेरे दूध को दबा रहे थे। एक अजीब सी झनझनाहट पुरे बदन में हो रही थी। जैसे कोई चीटी निचे से उपर तक काट रही थी। जीजू आगे बढ़ने लगे।
मेरी छोटी छातियों को दाबने लगे। मुझे आज उनका मर्दाना हाथ अपने छातियों पर अच्छा लग रहा था। मैंने अपने हाथ निचे कर लिए जिससे जीजा मेरे बूब्स दबा सके। फिर क्या था दोस्तों, जीजा ने मेरे छोटे छोटे संतरे अपने ताकतवर हाथ में पकड़ लिए और जोर जोर से दाबने लगे। मेरे पुरे बदन में झुनझुनी होने लगी। जीजा के हाथ थे की फौलाद थे।
मेरे संतरों को पकड़कर वो जैसे निचोड़ने लगे। दोस्तों मेरी तो जान ही जाने लगी। जीजा मेरे साथ फुल रोमांस, फुल मजा करना चाहते थे। मेरे गोरे गोरे लाल गाल को चूमने लगे। फिर सारी हदे जब पार हो गयी जब उन्होंने मुझसे बिस्तर पर लिटा दिया। एक साथ जीजू मेरे होठ पीने लगे और मेरी नर्म नर्म छातियां अपने पंजे में भरके दाबने लगे। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था।
इसलिए मैं चाहकर भी उनको रोक नही पाई। मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी की मैं अपनी दीदी की तरह अपने जीजा ने चुदवाने जा रही थी। जबकि मुझे चोदने का लाइसेंस जीजू के पास नही था। उनके पास तो सिर्फ दीदी को चोदने का लाइसेंस था। पर वो कहावत है ना की साली आधी घरवाली होती है, इसलिए मेरे जीजा आज मुझे चोदने जा रहे थे। “Seal Bhang Jija Sex”
जीजा बड़ी देर तक मेरी नंगी छातियों को दबा दबा कर मजा लेते रहे। इस दौरान मैंने भी जिन्दगी का मजा लिया। छातियां दबवाने के दौरान मेरी चूत ढीली होकर गीली होने लगी। जीजा मुझे चोदने की तैयारी करने लगे। मेरा कलेजा धक धक करने लगा। कैसा लगेगा चुदकर। मैं यही सोचने लगी। जीजा का हाथ धीरे धीरे मेरी टांग से होता हुआ मेरी जांघो पर चला गया।
वो मेरी जांघ सहलाने लगे। वो मेरे उपर चढ़ गये और मेरी नर्म नर्म छातियों को अपने मुंह में भरके मेरी चूचीयां पीने लगे। मुझे जाने कैसा लगा। बड़ा अजीब सा सुख मिला मुझे। लगा जैसा आज मेरी स्त्री होना पूरा हो गया। यही अहसास हुआ मुझे। मैंने आंखें बंद कर ली। एक अजीब सा नशा मुझे चढ़ गया। मजा तो बहुत आने लगा दोस्तों।
आज मुझे पता चला की किसी मर्द को चुचि पिलाने में कितना सुख मिलता है। इस दौरान मुझे पुरे शरीर में सनसनी होने लगी थी। अब तो यही मन था की जीजा मुझे जल्दी से चोदे। मेरी मुलायम बुर में अपना पत्थर जैसा लौड़ा डाल के मुझे इतना चोदे की मेरी मां चुद जाए। मेरी मां-बहन एक हो जाए। यही मेरा दिल कर रहा था।
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इस दौरान मेरी नजरे झुकी रही। जीजा मेरे दूध बदल बदल कर पीते रहे। फिर उनका हाथ मेरी सलवार के नाड़े तक आ पंहुचा। मैं जानती थी की अब आगे क्या होगा। जीजा ने मेरी सलवार की डोरी ऊंगली में फसाकर खिंच दी। डोरी सर्रर्र की आवाज करते हुए खुल गयी। जीजा मेरी सलवार धीरे धीरे नीचे करने लगे। नहीं जीजा !! आज नही! फिर कभी मैंने मना कर दिया। “Seal Bhang Jija Sex”
पर अंदर से मेरा चुदवाने के पूरा मन था। जीजा ने मेरी बात नही सुनी। जीजा ने कहा आज से नहीं कब से मैं तुम्हे चोदना चाहता था। तेरे होटों का रस पीना चाहता था। तुम्हे मसलना चाहता था। आज मौक मिला है। आज ये मौका हाथ से नहीं जाने दूंगा। किसी को पता नहीं चलेगा। हम दोनो मजे कर लेंगे। जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती इस शरीर से खेलूंगा।
तुम्हारी सारी आवश्यकताएं पूरी करूंगा। ये कहते हुए जीजा ने मेरी सलवार नीचे सरका दी। मैंने गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी। मेरी दीदी ने मुझे ये गिफ्ट की थी। अरे !! साली जी !! ये पेंटी तो मैं तुम्हारी दीदी के लिए खरीद कर लाया था! जीजा बोले। मैने कहा- दीदी ने मुझे ये गिफ्ट कर दी थी। जीजा मुस्कुरा दिए। उनकी आंखों में सिर्फ और सिर्फ वासना थी।
मुझे चोदने की वासना उनकी आंखों में तैर रही थी। मेरी नाजुक चूत में वो अपना पत्थर जैसा लंड डाल के मुझे वो रगड़ के चोदना चाहते थे। मैं ये बात अच्छी तरह जानती थी। उनका हाथ मेरी पेंटी पर आ गया। मेरी चूत के उपर पेंटी पर वो जोर जोर से ऊंगली रगड़ने लगे। मुझे बिजली के झटके लगने लगे। मेरे पुरे बदन में करेंट दौड़ने लगा।
जीजा जोर जोर से मेरी पेंटी अपनी ऊंगली से घिसने लगे। मेरी चूत घिसने लगे। मैंने अपने हाथ पांव पटकने लगी। जीजा ने मेरे दोनों हाथ पैर पकड़ लिए। बड़ी देर तक यही तो करते रहे। बदल बदलकर मेरे नर्म नर्म कुवारे दूध वो पीते और पेंटी के उपर से मेरी चूत घिसते। मेरी तो गांड फट गयी दोस्तों। फिर जीजा ने मुझे कुछ सेकंड के लिए छोड़ दिया।
एक एक कर अपने सारे कपड़े निकाल दिए। अपना अंडरविअर भी निकाल दिया। जीजू ने मेरी पेंटी आखिर ऊंगली से खींचकर निकाल दी। हाय राम ,अपने जीजा के सामने मैं पूरी तरह से नंगी थी। मेरी इज्जत उनके हाथ में थी। जीजा ने मेरी चूत देखी तो वो आंखों से मेरी चूत चोदने लगे। इतनी घूर घूर के मेरी गुलाबी चूत देख रहे थे जैसे अभी उसको खा जाएंगे। “Seal Bhang Jija Sex”
बड़ी देर तक जीजू मेरी चूत के दर्शन करते रहे। फिर उन्होंने मेरी दोनों पैर खोल दिए। मेरे चूत के ऊपर रोयेदार बाल थे। मैंने शर्म और हया ने अपने दोनों हाथ अपनी आंखों पर रख लिए। उनके लगातार दबाव से मेरे चूत से रिसाव हो रहा था। वे पुर्णरूपेण नंगे थे। उनका काला मोटा पत्थर जैसा सख्त लंड देखकर मैं कांप गयी। बहूत मोटा और लंबा लंड था उनका।
उनका ये रूप देखकर मैं डर गयी और रोने लगी। मैने कभी अपने जीवन में किसी मर्द को इस रूप में नहीं देखा था। मुझे रोता देख जीजा मुझे सीने से लगाकर कहा कि देख जब तक तुम छोटी थी मैंने तेरे साथ ऊपर-ऊपर से मजे किये। कभी जबरदस्ती नहीं की। समय का इंतजार किया। तुझे पाला, पोसा, तराशा और बनाया। अब तुम तैयार माल हो। तुम आराम से मेरे लंड को खा सकती हो।
अगर ऐसा नहीं होता तो मैं ऐसा नहीं करता। आज तेरी शादी हो जाए तो क्या तू नहीं चूदेगी। पति के सामने रोयेगी तो वो मान जाएगा क्या। सबके साथ पहली बार में ऐसा ही होता है। हिम्मत रख देख बहूत मजा आएगा। अगर अच्छा ना लगे तो मना कर देना। वो मुझे समझाते रहे और अंतत: मैं तैयार हो गयी। उन्होने मुझे किस किया और और लिटाकर दोनों पैर को फैलाकर चौड़ी कर दी।
मेरे चूत के मुलायम रेशेदार फांकों को खोल कर उसे चाटने लगे। पहले चूत के ऊपर वाली काली चमड़ी के किनारे-किनारे जीजा ने जीभ फेरा और वहां जमे काले मैल को वो चाट कर साफ कर दिये। उसके बाद चूत को फैलाकर दाने को हाथ के ऊंगिलयों से रगडा। मैं सीसक उठी। मेरे दाने टाइट हो गये थे। उसे जीजा ने अपने मुंह के अंदर खींचकर लेमनचूस की तरह चूसा। “Seal Bhang Jija Sex”
मुझे बेहद आनंद आ रहा था। कुछ देर उसे चाटने के बाद चूत के गुलाबी एरिया में जीभ को घूसाकर वहां से निकलने वाले सफेद रस को चाट कर निगल गये। उनकी आखें वासना में लाल हो गयी थी। वे मुझे एकदम बदले हुए इंसान नजर आ रहे थे। उनके चाटने से मेरे शरीर में अकड़न महसूस होने लगी। वे कभी मेरा चूत चाटते, कभी छाती दबाते तो कभी पूरे शरीर पर अपना जीभ फेरते।
मैं जोश में आ चूकी थी और काफी रोमांचित महसूस कर रही थी। ऐसा करते करते उन्हे 20 मिनट से ऊपर हो गया था। अब मेरे चूत में चिटियां रेंग रही थी। मैने कहा जीजा अब रहा नहीं जा रहा। जो करना है कर डालो। जीजा ने हल्की सी मुस्कान दी। वो समझ गये थे कि मैं अब गरम हो गयी हूं। लोहा गरम हो तो ही हथौड़ा मारना चाहिए।
उन्होने बहूत सारा थूक मेरे चूत पर लगाया और उसे मेरे छेद के अंदर वाले भग में डाल दिया। इसके बाद उसने अपने कड़क लंड को मेरे चूत के मुंह पर रखा और मेरे मुंह पर अपना ताकतवर पंजा दबाकर एक जबरदस्त झटका दिया। उनका लंड मेरे चूत को फाड़ते हुए अंदर समां गयी। मेरा दोनों आखें फटी की फटी रह गयी।
ऐसा लगा जैसे किसी ने गर्म सरिया मेरे चूत के अंदर डाल दिया है। मेरे दर्द के मारे चीख पड़ी। लेकिन जीजा ने मेरा मुंह दबाये रखा था। मेरे दोनो आंखों से अश्रु बह रहे थे। चक्कर सा महसूस हो रहा था। पूरा कमरा मानों घूम रहा था। मेरी चूत से खुन का फव्वारा बह रहा था। सब ओर खून ही खून लगा हुआ था। मेरे जीजू का लौड़ा मेरी चूत की लाल स्याही से रंग चूका था। “Seal Bhang Jija Sex”
लेकिन जीजा को मुझपर दया नहीं आयी। जीजा रूकने की बजाय मुझे फट फट करके चोद रहे थे। वे मुझे किसी घर की माल की तरह चोदते रहे। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। वो तो ऐश कर रहे थे, मजे लूट रहे थे और इधर मैं चुद रही थी मुझे दर्द हो रहा था। जीजा का लौड़ा बड़ा ताकतवर निकला। मुझे आधे घंटे चोदते रहे पर एक बार भी नही झड़े।
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इधर मैं एक बार झड़ चुकी थी। मैंने अपना माल जीजा के लौड़े पर ही छोड़ दिया था। आधे घंटे बाद जीजा ने अपना हाथ निकाल लिया और लंड भी कुछ देर के लिए निकाल लिया। तब मुझे जाकर राहत हुई। जीजा बोले- क्यों साली जी। मजा आया की नही???? मैने कहा-हां जीजा मजा तो आया !! पर दर्द बहुत हुआ। बार रे अब नहीं।
जीजा बोले-कोई बात नही। धीरे धीरे तुम्हारा दर्द खत्म हो जाएगा। पागल हो फिर से चूदो नहीं तो तेरा चूत खून से जाम हो जाएगा और खराब हो जाएगा। डाक्टर के पास ले जाना पड़ेगा। उनकी ये बातें सुनकर मैं सहम कर फिर से चुदाई के लिये तैयार हो गयी। फिर वो मेरी खून लगी चूत को चूसने लगे। चूत में ऊंगली डाल दी और फेटने लगे।
मुझे पुरे बदन में सनसनी होने लगी। जैसे ना जाने क्या मेरे साथ हो रहा है। जीजा बड़ी देर तक मेरी चूत में जल्दी जल्दी ऊंगली करते रहे। फिर अपना मुंह लगाकर मेरी बुर पीने लगे। अब मैं कुवारी लड़की नही रह गयी थी। अपने जीजा के साथ मैंने अपने कुंवारेपन को खत्म कर दिया था।
फिर जीजा ने फिर से मेरी नाजुक जान से प्यारी चूत में अपना लोहे जैसा लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगे। शुरू शुरू में मुझे दर्द हुआ, पर धीरे धीरे दर्द खत्म हो गया। कुछ देर बाद जीजा तो मुझे ऐसे चोदने लगे जैसे मैं कोई रंडी छिनाल हूं। मैं किसी नूची मुर्गी की तरह अपने पंख फैलाकर पड़ी हुई थी। “Seal Bhang Jija Sex”
जीजा अपना पिछवाड़ा बड़ी जोर जोर से चला रहे थे और गच गच्च करके मुझे पेल रहे थे। मेरी चूत से पक पक की आवाज आ रही थी। मैं अपने जीजा से चुद रही थी। फिर जीजा किसी मशीन की तरह मुझे बिजली की रफ्तार से पक पक पेलने लगे। मेरे संतरे अब चुदने के दौरान बड़े हो गये थे। जीजा धक्के पर धक्के लगा रहे थे और मैं नीचे पड़ी मजे ले रही थी।
वे मुझे अलग-अलग मुद्राओं में चोदते रहे। अब मेरा जीजा मेरा यार ही नहीं भतार भी था। चुदते-चुदते मेरा पूरा बदन थकान से अकड़ने लगा। जीजा का स्पीड बढता जा रहा था। मेरा पानी झड़ने को था और इधर जीजा का भी आने वाला था। अचानक जीजा ने कराहते हुए सारा माल मेरे चूत के अंदर गिरा दिया। मैं भी अकड़कर ठंढी पड़ चूकी थी।
जीजा ने आज तक जो खिलाया पिलाया था। सब चोद के निकाल दिया। मैं थक चूकी थी। हम दोनो झड़ने के बाद आधे घंटे तक सुस्त पड़े रहे। उसके बाद हमलोगों ने चादर हटा दी। बिस्तर और कमरा ठीक किया। कुछ देर के बाद दीदी आ चूकी थी। शाम को चुदाई के कारण मुझे बुखार आ गयी थी। जीजा ने दर्द दिया और दवा लेकर भी वहीं आया। आज वो बहूत खुश था।
मैं अब औरत से लड़की बन चूकी थी। मेरा कुंवारापन और कौमार्य भंग हो चूका था। इस दिन के बाद से दोस्तो मैं जीजा की रखैल बन गयी। जब तक मेरी शादी नहीं हो गयी उसने मुझे किसी और से चूदने नहीं दिया। खुद चोदता रहा। मेरी जवानी का असली रस उसी ने लूटा। तो ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी दोस्तो। धन्यवाद. “Seal Bhang Jija Sex”
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