Muslim Mom Anal XXX
दोस्तों आपने मेरी कहानी के पिछले भाग दीदी अपनी चूत में मेरा वीर्य भरना चाहती 4 में आपने पढ़ा कि झड़ने के बाद मैं डर से सो गया सुबह जब मैं उठा तो देखा.. कि अम्मी जान रोज की तरह अपना काम कर रही थीं और मेरी दोनो बहने सब्जी लाने मंडी के लिए जा चुकी थीं। Muslim Mom Anal XXX
मैं उठा और डरते-डरते बाथरूम की तरफ जाने लगा तभी अम्मी जान ने कहा- आज चाय नहीं पायेगा क्या तो मैंने बात पलटते हुए कहा- हाँ.. पीऊंगा पहले बाथ रूम से आता हूँ। जब मैं बाथरूम से वापस आया तो अम्मी जान को देखा, अम्मी जान बरामदे में बैठी सब्जी काट रही थीं और वहीं पर मेरी चाय रखी हुई थी।
मैं चुपचाप बैठ कर चाय पीने लगा तभी अम्मी जान मेरी तरफ देख कर हँसते हुए बोलीं- आज बड़ी देर तक सोता रहा। मैं डरते हुए अम्मी जान आज नींद नहीं खुली..’ तो आमी जान बोलीं- एक काम किया कर.. आज से रात को और जल्दी सो जाया कर..’ यह कह कर वो हँसते हुए रसोई में चली गईं।
जब मैंने देखा कि अम्मी जान कल रात के बारे में कुछ भी नहीं बोलीं.. तो मैं खुश हो गया। उस दिन पूरे दिन मैंने कुछ भी नहीं किया.. मैंने सोच रखा था कि अब मैं रात को ही सब कुछ करूँगा.. जब तक या तो अम्मी जान मुझसे चुदाई के लिए तैयार ना हो या मुझे डांट नहीं देती।
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मुझे अब यकीन हो गया था कि अम्मी जान मेरी तीसरी बीबी बन ही जायेगी तभी मेरे दोनो बहन सब्जी मंडी से आ गई. लेकीन सानिया मेरी छोटी बहन कुछ परेशान दिख रही थी सायेद वो डर गई थी की कुंवारी मां बन गई तो ये संसार क्या कहेगा लेकिन फातिमा दीदी मेरी ओर देखकर आंख मारी और किचन रूम में चली गई.
फिर दीन निकला और शाम को दोनो बहन मील के खाना बनाई और सबने खाना खाया दोनो बहन बर्तन लेके साफ करने चाली गई अम्मी जान भी उनके पिछे चली गई. मैं खाना खाकर जल्दी से कमरे में आकर सोने का नाटक करने लगा।
दोनो बहन दुसरे रूम में सोती थी और अम्मी जान और मैं एक रूम में मेरे साथ थोड़ी देर में अम्मी जान मेरे रूम में आई और नाईटी पहन ली और धीरे से मेरे बगल में लेट गई मैं अम्मी जान के सोने का इंतजार करने लगा।
लेकिन मेरी दोनो बहन टीवी पर कामेडी देखने लगी टीवी का आवाज मेरे रूम में आ रहा था करीब एक घंटे बाद टीवी का आवाज आना बंद हो गया मैं धीरे से अम्मी जान से सट कर लेट गईं। करीब 10 मिनट तक लेटे रहने के बाद मैंने धीरे से आँखें खोलीं और मैंने बरामदे की हल्की रोशनी में अम्मी जान को देखा तो चौंक पड़ा..
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अम्मी जान ने आज नाईटी की जगह लहंगा पहन रखी थी जो कि फातिमा दीदी जान की थी और उन्होंने अपना एक पैर थोड़ा आगे की तरफ कर रखी थी। फिर मैंने सोचा कि अगर यह किस्मत से हुआ तो अच्छा है और अगर अम्मी जान कही जानबूझ कर यह कर रही हैं तो अम्मी जान भी जल्दी ही चुद जाएगी।
उस रात मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ा हुआ था. अब मैं थोड़ी देर अम्मी जान लहंगा के ऊपर से अम्मी जान की चूतड़ सहलाने के बाद मैंने धीरे से अम्मी जान की लहंगा की सामने की डोरी खोल दिया और उसे पकड़ के धीरे धीरे अम्मी जान की कमर से अम्मी जान की मोटी मोटी जांघ तक निकाल दिया और धीरे से अम्मी जान की चूतड़ों को सहलाने लगा।
मैं जाँघों को भी सहला रहा था.. अम्मी जान के चूतड़ और जाँघें इतनी मुलायम थी कि मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था। फिर मैंने अपना हाथ उनकी जाँघों के बीच डाला तो मैं हैरान रह गया। आज अम्मी जान की चूत एकदम चिकनी थी.. उनकी चूत पर बाल का नामोनिशान नहीं था.. उनकी चूत बहुत फूली हुई थी और चूत के दोनों होंठ फैले हुए थे।
शायद एक जाँघ आगे करने के कारण, उनकी चूत से निकला हुआ चमड़ा लटक रहा था। मेरे कई दोस्तों ने गपशप के दौरान इसके बारे में बताया था कि बडी एज वाली औरतों की चूत से ये निकलता है और उन्हें इस पर बड़ा नाज़ होता है।
मैं तो उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था.. मैंने लेटे-लेटे ही अपना शॉर्ट्स निकाल दिया और अम्मी जान की तरफ थोड़ा और सरक गया.. जिससे मेरा लंड अम्मी जान की चूतड़ों से टच करने लगा। थोड़ी देर तक शान्त रहने के बाद जब मैंने देखा कि अम्मी जान कोई हरकत नहीं कर रही हैं.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ी।
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अब मैं लेटे-लेटे ही अम्मी जान की चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा। थोड़ी ही देर मे मुझे लगा कि अम्मी जान की चूत से कुछ चिकना-चिकना निकल रहा है। ओह्ह.. क्या खुश्बू थी उसकी… मेरा लंड फूल कर फटने की स्थिति में हो गया.. मैं अपना लंड अम्मी जान की गाण्ड के छेद पर सटाया और उनकी जाँघों पर धीमे-धीमे रगड़ने लगा।
तभी मुझे एक आइडिया आया कि क्यों ना आज थोड़ा और बढ़ कर अम्मी जान की चूत से अपना लंड टच कराऊँ। जब मैंने अपनी कमर को आगे खिसका कर अम्मी जान की चूत की पंखुड़ियों से सटाया तो लगा जैसे करेंट लग गया हो..
मुझे झड़ने का जबरदस्त मन कर रहा था, पर मैंने सोचा कि एक बार अम्मी जान की चूत में लंड डाल कर उनकी चूत के पानी से चिकना कर लूँगा और फिर बाहर निकाल के मुठ मार लूँगा। यह सोच कर मैंने अपनी कमर थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड अम्मी जान की चूत की लटके चमड़े को ऊँगलियों से फैलाते हुए उनके छेद पर रखा..
तो अम्मी जान की चूत से निकलता हुआ चिकना पानी मेरे सुपारे पर लिपट गया और थोड़ा कोशिश करने पर मेरा सुपारा अम्मी जान की चूत की छेद में घुस गया। जैसे ही सुपारा अन्दर गया.. उफ़फ्फ़ मै कंट्रोल कर नही पाया और धीरे से जोर देकर पूरा लंड अन्दर घुसा दिया.
अम्मी जान की चूत की गर्मी मुझे महसूस हुई और जब तक मैं अपना लंड बाहर निकालता मेरे लंड से वीर्य का फुहारा अम्मी जान की चूत में पिचकारी की तरह निकलने लगा। मैं घबरा तो गया. पर ज्यादा हिलने से डर भी रहा था कि कहीं अम्मी जान जाग ना जाएँ।
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जब तक मैं धीरे धीरे से अपना लंड अम्मी जान की चूत से से बाहर निकालता.. तब तक मेरे लंड का पानी अम्मी जान की चूत में पूरा खाली हो चुका था और लंड निकालते वक़्त वीर्य की गाढ़ी धार अम्मी जान की चूत की पंखुड़ियों से होते हुए उनकी मोटी मोटी जांघो से बहने लागा। यह कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मुझे लगा अब तो मैं अम्मी जान से पक्का पिटूंगा। मैं डर के मारे जल्दी से शॉर्ट्स पहन कर सो गया.. मुझे नींद नहीं आ रही थी.. पर मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला। अगले दिन उठा तो देखा कि हमेशा की तरह अम्मी जान सफाई कर रही थीं.. पर मेरी दोनो बहने सब्जी मंडी नही गई थी।
मुझे देखते ही अम्मी जान ने फातिमा दीदी जान से बोली- फातिमा.. जा चाय गरम करके भाई को दे दे और मुझे प्यार से वहीं बैठने के लिए कही। मैंने चोरी से अम्मी जान की ओर देखा तो अम्मी जान मुझे देख कर पूछने लगीं- आज नींद कैसी आई? मैंने कहा- अच्छी..
तो अम्मी जान हँसने लगीं और मेरी पैंट की ओर देख कर बोलीं- अब तू रात में सोते समय पैन्ट उतार दिया कर और लुंगी पहना कर। पैन्ट पहन कर नहीं सोते हैं। अब तू बड़ा हो रहा है.. देख मैं ढीले कपड़े पहन कर सोती हुं। मैं यह सुन कर बड़ा खुश हुआ कि अम्मी जान ने मुझे डांटा नहीं। “Muslim Mom Anal XXX”
उस दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि अब अम्मी जान मुझे रात में पूरे मज़े लेने से मना नहीं करेगीं.. भले ही दिन में चुदाई के बारे में खुल कर कोई बात ना करें। अब तो मैं बस रात का ही इंतजार कर रहा था। खैर.. उस रात फिर जब मैं सोने के लिए कमरे में गया तो मुझे अम्मी की लुंगी पहनने वाली बाद याद आई.. पर मेरे पास कोई नया लुंगी नहीं था।
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मैंने अल्मारी में से एक पुरानी लुँगी निकाली और अंडरवियर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा। तभी मेरे मन में अम्मी जान की सुबह वाली बात याद आया और मैंने अपनी लुँगी का सामने वाला हिस्सा थोड़ा खोल दिया.. जिससे मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथों को अपनी आँखों पर इस तरह रखा कि मुझे अम्मी जान दिखाई दे।
थोड़ी ही देर में अम्मी जान कमरे में आईं और आज फिर से फातिमा दीदी की लहंगा पहन कर पलंग पर आने लगीं और लाइट ऑफ करने के लिए जैसे ही मुड़ीं.. एकदम से वे मेरे लंड को देखते ही रुक गईं.. थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 6.5इंच′ लम्बा और 2.5′इंच मोटा था.. मेरे लंड को देखते ही अम्मी जान मेरे क़रीब आई और मेरे लंड को देखती रहीं। दोस्तों ईस कहानी का अगला भाग 6 में पढ़े…