Meri Chut Ki Bechaini Sasur Ji Hi Mita Paye
दोस्तो, मेरा नाम माया है, मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँ, इसलिए बचपन से बहुत लाड़ली रही हूँ। ज़्यादा प्यार भी बच्चों को बिगाड़ देता है और मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ। Meri Chut Ki Bechaini Sasur Ji Hi Mita Paye.
माँ बाप का बेपनाह प्यार और हर बात की आज़ादी का असर यह हुआ कि मैं 10वीं क्लास में ही किसी को अपना दिल दे बैठी। नासमझ, नादान उम्र का वो भी फायदा उठा गया। जिस उम्र में बहुत सी लड़कियों को माहवारी शुरू नहीं होती, उस उम्र में मैंने अपना कौमार्य लुटवा दिया, वो भी उस बेवफा के लिए जो सिर्फ 2 बार सेक्स करके मुझे छोड़ गया, यह कह कर कि तुम्हारे बदन में वो मज़ा नहीं है।
मज़ा क्यों नहीं, क्योंकि उसे बड़े बड़े मम्मे और मोटी गांड चाहिए थे, मोटी मोटी जांघें चाहिए थी, मगर मैं तो छोटी सी थी, और पतली भी थी, मेरे पास सब मेरी उम्र और बदन के हिसाब से था, सो मैं जैसी थी, वैसी थी।
उसने तो मुझे साफ तौर पे छोड़ दिया, उसके चले जाने के बाद मैं बहुत रोई।
मगर एक बार जब लंड खा लिया तो फिर चैन कहाँ पड़ता है, 10+1 में दाखिल होते ही मेरे तीन बॉय फ्रेंड थे और तीनों के तीनों एक नंबर के चोदू… 11वीं 12वीं बड़ी मज़े की कटी, हर हफ्ते में 2-3 बार चुदाई होनी पक्की थी, 2 बार अबोर्शन भी करवाना पड़ा।
चलो किसी को पता नहीं चला।
मगर कच्ची उम्र में चूत फड़वाना मुझे पूरी तरह से बिगाड़ गया, मैं सिर्फ डेट के वो 4-5 दिन ही बड़ी मुश्किल से गुजारती थी।
फिर बी ए की।
मगर मेरी चूत कभी लंड से खाली न रही, सारे कॉलेज में मैं मशहूर थी।
मुझे पता था, कॉलेज के प्रोफेसर तक मुझपे लाइन मारते थे, कैंटीन बॉय, चौकीदार सब मेरे हुस्न के दीवाने थे। मुझे भी पता था, के ये ज़ालिम मर्द सिर्फ मेरे चूचे, चूतड़, चूत और चेहरे के ही दीवाने हैं, सब के सब सिर्फ मुझे चोदने तक ही मतलब रखते हैं, मेरे दिल से किसी को कोई प्यार नहीं है इसलिए मैं भी हंस बोल कर अपने काम सब से निकलवा लेती थी।
मगर चुदाई सिर्फ अपने बॉय फ़्रेंड्स से ही करवाती थी। मगर फिर भी मेरी शौहरत बहुत दूर दूर तक फैल गई थी। इसीलिए जब घर वालों ने मेरे रिश्ते की खोज शुरू की तो लोकल रिश्ते 3-4 टूट गए।
तो घर वालों ने बाहर का लड़का ढूंढा। रिटाइर्ड आर्मी अफसर का लड़का, कनाडा में जॉब करता था, बड़े धूम धाम से शादी हुई, शादी में मेरे तीनों बॉय फ़्रेंड्स भी आए हुये थे।
दुल्हन का लिबास पहने मैं भी सोच रही थी कि ये कमीने भी सोच रहे होंगे कि साली कैसे सती सावित्री बनी बैठी है और जब हमारी माशूक थी तो कैसे उछल उछल कर चुदवाती थी।
खैर शादी हुई, सुहागरात भी हुई, जानबूझ कर मैंने बहुत दर्द होने का नाटक किया, बहुत रोई, जैसे मेरा तो रेप ही हो गया हो।
घर वाला पूरा खुश कि बड़ी सीलबंद चीज़ मिली। “Meri Chut Ki Bechaini”
शादी के बाद हनीमून पर गए, वहाँ पर भी बस चुदाई ही चुदाई चली, दिन रात जब भी मौका मिलता, राहुल ने मुझे खूब पेला मगर कुछ बातें मुझे ठीक नहीं लगी पहली यह कि राहुल का लंड छोटा था, सिर्फ 4 या साढ़े 4 इंच का, जबकि शादी से पहले तो मैं 6-7 इंच के लंड ले चुकी थी।
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दूसरी वो बहुत जल्दी झड़ जाता था, मुश्किल 5-7 मिनट ही लगाता था, जबकि मुझे तो यह आदत थी कि जितनी मर्ज़ी देर पेलो।
और मेरे बॉय फ़्रेंड्स भी आधा आधा घंटा अपने पत्थर जैसे सख्त लंड मेरी चूत में डाले रहते थे।
मगर फिर भी मैंने राहुल को हौंसला दिया और उसे धीरे धीरे अपना समय बढ़ाने के लिए कहा। वो भी धीरे धीरे टाइम बढ़ाता जा रहा था, अब तो वो भी 10-12 मिनट तक चुदाई करता था।
मैं इसमें भी खुश थी कि चलो अब तो इसके साथ ही रहना है, अब कोई और पंगा नहीं लेना किसी के साथ, सिर्फ और सिर्फ अपने पति के साथ ही अपनी ज़िंदगी गुज़ारूंगी।
मगर मेरी खुशी ज़्यादा दिनों की नहीं थी, राहुल को वापिस कनाडा जाना था, 2 महीने की छुट्टी पे आए थे।
फिर मेरे कनाडा जाने के कागज पत्र तैयार करने में कई दिन बीत गए और फिर एक दिन राहुल जहाज़ चढ़ कर कनाडा चले गए, मैं अकेली रह गई। “Meri Chut Ki Bechaini”
पहले तो बहुत रोई, कितने दिन रोती ही रही।
घर में मैं और मेरे ससुर सिर्फ दो ही जन थे, राहुल की बड़ी बहन भी कुछ दिन बाद वापिस लौट गई थी। इतना बड़ा घर बिल्कुल खाली!
मगर मैंने खुद को धीरे धीरे संभाला, अपना ध्यान घर के काम पे लगाया, काम वाली आकर सब काम कर जाती थी, मेरे लिए खाली समय काटना बहुत मुश्किल हो जाता।
मायका भी नजदीक नहीं था, हालांकि फोन पे बात होती रहती थी। पिताजी भी ज़्यादातर अपने रूम में या, अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने में रहते थे। मुझे भी कहा था कि आस पास पड़ोस में सहेलियाँ बना लो, मगर मुझे सहेलियों से जायदा दोस्त पसंद थे, इसलिए किसी के साथ मैं ज़्यादा घुल मिल नहीं सकी।
सारा दिन घर में बोर होते रहो, टीवी भी कितना देख लोगे।
ऐसे ही एक दिन दोपहर को मैं खिड़की के पास खड़ी थी, बाहर देख रही थी, तभी मेरी निगाह पड़ोस वाले घर में गई, मुझे लगा वहाँ कुछ हो रहा है। “Meri Chut Ki Bechaini”
थोड़ा ध्यान से देखा तो थोड़ी देर बाद एक मर्द बिलकुल नंगा खड़ा, ये लंबा मोटा लंड, और तभी एक औरत आई, पड़ोसी की बहू थी, उसने वो लंड पकड़ा और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
2 मिनट बाद वो शायद बेड पे लेट गए, मुझे नहीं दिख रहे थे, मैं कितनी देर वहीं खड़ी उनका इंतज़ार करती रही कि शायद फिर मुझे दिखे मगर आधा घंटा बीत जाने के बाद भी वो नहीं दिखे।
मैं वापिस आ कर बेड पे लेट गई, मेरे दिमाग में रह रह कर उस मर्द का वो शानदार लंड घूम रहा था, मेरा दिल कर रहा था कि उठ कर उसके घर जाऊँ, घंटी बजाऊँ, जब वो बाहर आए तो उससे पूछूँ- क्या मैं आपका लंड ले सकती हूँ?
मगर यह तो संभव ही नहीं था।
मेरे मन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, मैं उठ कर ड्रेसिंग टेबल के सामने जा बैठी, पहले अपने चेहरे पे पूरा मेकअप किया, उसके बाद साड़ी उतारी।
शीशे में खुद को ब्लाउज़ और पेटीकोट में देखा… कितना शानदार फिगर है मेरा, गोल उठे हुये मम्मे, सपाट पेट, मोटे गोल चूतड़, भरी हुई चिकनी जांघें, गोरा रंग, सुंदर चेहरा… हर चीज़ मेरी बहुत सुंदर, फिर भी मैं प्यासी क्यों?
मैंने एक एक करके अपने ब्लाउज़ के हुक खोले और ब्लाउज़ उतार दिया, फिर पेटीकोट की हुक खोल कर उसे भी गिरा दिया।
गोरे बदन पर पिंक ब्रा पेंटी कितनी जंच रही थी। “Meri Chut Ki Bechaini”
कितनी सेक्सी हूँ मैं… मैंने सोचा।
फिर मैंने अपना ब्रा और पेंटी भी उतार दिया, गोरा चिकना सुडौल बदन… किसी मर्द का लंड अकड़ जाए इसे देख कर, फिर मेरे पास लंड क्यों नहीं, मैं लंड के लिए भूखी क्यों हूँ।
क्या इस खूबसूरत बदन के साथ मुझे किसी चीज़ की कमी है, नहीं।
मगर दूसरे ही पल मन में ख्याल आया कि नहीं, सिर्फ अपना पति और कोई नहीं!
यही सोच कर मैं बेड पर लेट गई और अपने हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। कितनी देर तड़पती रही और मसलती रही और आखिर मेरा पानी छूट गया। स्खलित होकर भी मैं कितनी देर बेड पे नंगी ही लेटी रही।
उस रात को भी मैंने हाथ से किया मगर हाथ से करने से भी मुझे मज़ा नहीं आ रहा था, स्खलित हो जाती थी, मगर संतुष्ट नहीं हो पाती थी।
फिर मैंने ऐसे चीज़ें ढूंढनी शुरू की जो लंड तरह अपनी चूत में ले सकती थी जैसे खीरा, मूली, गाजर, बेलन, बैंगन, पेन, डंडा और न जाने क्या क्या।
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लंड की कमी तो पूरी हो गई, मगर जो चूमने चाटने की तमन्ना थी, वो कहाँ से पूरी करती?
दिन ब दिन मेरी प्यास बढ़ती ही जा रही थी।
ऐसे में ही एक दिन एक अजीब वाकया हुआ, मैं शाम को पिताजी को चाय देने गई, घर का माहौल शुरू से ही खुला था, तो घर में जीन्स टी शर्ट, पेंट, कैप्री आदि पहनने की कोई दिक्कत नहीं थी। “Meri Chut Ki Bechaini”
मेरे जो जीन्स के साथ टी शर्ट पहनी थी, उसका गला थोड़ा गहरा था। मगर मैं तो अपने ही कमरे में रहती थी, पिताजी मेरे कमरे में आते नहीं थे, सो अगर नंगी भी रहती तो कोई डर नहीं था।
मगर जब मैं पिताजी के रूम में गई तो उस वक़्त पिताजी सो रहे थे। मैंने देखा, पाजामे में से उनका तना हुआ लंड ऊपर उठा हुआ था। मैंने अंदाज़ा लगाया, कम से कम 7 या 8 इंच का तो होगा ही और मोटा भी लग रहा था।
यह विचार मन में आते ही चूत में एक बार खुजली सी हुई, फिर सोचा- हट पागल, ये तो ससुरजी हैं, इनके साथ कैसे?
मैंने चाय रखी तो पिताजी की आँख खुल गई और जब मैं झुकी हुई थी तो उनकी नज़र सीधे मेरी टी शर्ट के गले के अंदर, मेरे मम्मों पर पड़ी।
सिर्फ 2 सेकंड के लिए गौर से देख कर उन्होंने अपनी निगाह हटा ली, मैं भी वापिस आ गई।
जब सेक्स की इच्छा हो तो सपने भी सेक्स की ही आते हैं, उसी रात मुझे सपना आया कि मैं पिताजी का लंड चूस रही हूँ।
मेरी नींद खुल गई। मैंने हाथ लगा कर देखा, मेरी चूत पानी से लबालब हो रही थी। “Meri Chut Ki Bechaini”
मैं उठी, अपने सारे कपड़े उतारे, बिल्कुल नंगी होकर मैं पिताजी के कमरे के बाहर जा खड़ी हुई। उनके कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने देखा वो अंदर सो रहे थे।
मैंने दरवाजे के पास से अपना थोड़ा सा सर आगे किया और उनको देख कर अपनी चूत में उंगली करने लगी। मगर जब मेरा जोश बढ़ा तो मैं धीरे धीरे पूरी तरह से उनके दरवाजे के सामने ही जाकर खड़ी हो गई और अपनी चूत में उंगली करने लगी। “Meri Chut Ki Bechaini”
बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी आवाज़ को दबा कर रखा और वहीं खड़े खड़े हाथ से करते करते स्खलित हो गई। मेरा बहुत मन था कि पिताजी उठ कर आते और मुझे पकड़ लें, और मैं उनका लंड चूस लूँ, और वो मुझे दबा कर पेलें।
मगर ऐसे कुछ नहीं हुआ।
अगली रात मैं फिर उनके कमरे के सामने थी, आज मेरे पास एक बैंगन था, जिसे मैं पिताजी का लंड समझ कर अपनी चूत में ले रही थी, आज मैं थोड़ी और दिलेर हो गई, आज तो मैं उनके कमरे के अंदर चली गई, नीचे कार्पेट पर लेटी, मैं अपनी चूत में बैंगन फेर रही थी कि तभी अचानक बत्ती जल गई।
मैंने चौंक कर सामने देखा, पिताजी बेड पर अधलेटे से लाइट जला कर मेरी तरफ देख रहे थे। मैं तो उठ कर भागी, वो बैंगन भी वहीं छोड़ आई।
सच में बहुत शर्म आई मुझे, यह मैंने क्या कर दिया? पिताजी क्या सोचेंगे मेरे बारे में?
अगले दिन शर्म के मारे मैं पिताजी के सामने ही नहीं जा पा रही थी। उनकी चाय, नाश्ता मैंने काम वाली के हाथ ही भिजवा दिया। मगर दोपहर खाना तो मुझे ही खिलाना था। “Meri Chut Ki Bechaini”
जब मैंने उन्हें खाना परोसा तो वो बोले- बेटा, मैंने राहुल से बात की है, वो जल्द ही तुम्हें ले जाएगा, तब तक थोड़ा सब्र रखो।
उनकी इस छोटी सी बात में ही बहुत कुछ था।
मगर चूत में लगी आग कहाँ बुझती है, रात को मैं फिर बिलकुल नंगी हो कर ड्राइंग रूम में चली गई और सोफ़े पर बैठी, अपनी चूत में मूली ले रही थी।
अब ड्राइंग रूम पिताजी के रूम से थोड़ा दूर था, तो मेरे मुंह से हल्की हल्की आवाज़ें, सिसकारियाँ भी निकल रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मगर तभी ड्राइंग रूम की लाइट जल उठी, देखा सामने पिताजी खड़े थे- बेटा, ये क्या कर रही हो तुम, क्या इतनी बेबस हो चुकी हो?
मैं तो टूट ही पड़ी, नीचे फर्श पर ही गिर पड़ी, रो दी मैं… फूट फूट कर रोई- मुझसे नहीं होता पापा, मैंने बहुत कोशिश की, मुझसे नहीं होता, मैं मर जाऊँगी।
कह कर मैं रो पड़ी।
पिताजी मेरे पास आए, उन्होंने बड़े प्यार से मेरे बदन पे एक शाल दी, मैं उनके कंधे से लग कर रो रही थी, और वो मुझे सांत्वना दे रहे थे- कोई बात नहीं मेरा बच्चा, कभी कभी हो जाता है जब इंसान अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाता, तुम घबराओ मत, मैं हूँ न, सब ठीक हो जाएगा।
उन्होंने तो मुझे ढांडस बंधवाया, मगर मुझे लगा शायद वो कुछ और समझाना चाहते हैं मुझे! “Meri Chut Ki Bechaini”
पता नहीं क्या आया मेरे मन में, मैंने पाजामे के ऊपर से उनका लंड पकड़ लिया और बोली- पापा मुझे ये चाहिए।
वो तो एकदम से चौंक गए- माया बेटा, ये क्या किया तुमने?
मैंने भी उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और काम में अंधी होकर मैंने पापा के पाजामे का नाड़ा खींच दिया, इससे पहले वो संभलते, उनका काला, मोटा और लंबा लंड मेरे सामने था। पाजामे के नीचे उन्होने चड्डी पहनी ही नहीं थी।
वो बुत बन कर खड़े रहे और मैं फर्श पर ही बैठ गई, उनके लंड को हाथ में पकड़ा और सीधा अपने मुंह में ले लिया- आह, क्या जाना पहचाना स्वाद आया मुंह में!
पापा ने पीछे हट कर अपना लंड मेरे मुंह से निकालने की कोशिश की मगर मैंने तो मजबूती से अपने हाथ में पकड़ रखा था। ज़ोर से पकड़ कर ज़ोर से चूसा और देखो कैप्टन साहब का लंड उठ खड़ा हुआ।
मैंने अपनी शाल उतार फेंकी और ससुरजी को धकेलते हुये सोफ़े पे ले गई, उन्हें सोफ़े पे गिरा के अपना मुंह उनकी गोद में घुसा दिया और उनका लंड चूसने लगी। “Meri Chut Ki Bechaini”
मस्तराम की गन्दी चुदाई की कहानी : Papa Aur Chachi Ki Chudai Dekh Muth Mara
उन्होंने भी मेरे सर को पकड़ लिया, मैंने अब हाथ से उनका लंड छोड़ दिया, सिर्फ मुंह से ही चूस रही थी, अपने दोनों हाथों से मैंने उनकी कमीज़ के सारे बटन खोल दिये, बालों से भरे सीने पर अपने हाथ फिराये, उनके चूचुक अपनी उंगलियों से मसले, उनके मुंह से भी ‘आह… उफ़्फ़… इस्स…’ जैसी बहुत से भावनात्मक आवाज़ें निकली।
मतलब वो भी पूरे गर्म हो चुके थे, लंड तो वैसे ही तन कर अपना पूरा आकार ले चुका था, कोई 7 इंच का होगा, मोटा मूसल… मैं उठ कर उनकी गोद में बैठ गई, उनका लंड अपनी चूत पे सेट किया और थोड़ा सा अंदर लिया।
उन्होंने अपनी कमीज़ उतार फेंकी और मुझे उसी हालत में अपनी गोद में उठा लिया- रुक साली मादरचोद, बहुत आग लगी है तेरी चूत में अभी बुझाता हूँ।
कह कर उन्होंने मुझे नीचे कालीन पर ही लेटा दिया और एक ही धक्के में अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया।
‘आह…’ एक लंबी आह निकली मेरे मुंह से, वो थोड़ा पीछे को हटे और फिर एक और जोरदार धक्के से उन्होंने अपना पूरा लंड फिर से मेरी चूत की आखरी दीवार से टकराया। “Meri Chut Ki Bechaini”
‘कम ऑन पापा, फक मी… फक यूअर डोटर! मैंने भी कहा।
पापा ने मेरे दोनों बूब्स पकड़े और नींबू की तरह निचोड़ दिये, मेरे मुंह से दर्द से हल्की चीख निकल गई- आह पापा… धीरे, दर्द होता है। वो बोले- अब धीरे नहीं, तूने सोये हुये शेर को जगा दिया है, आज तो तेरी माँ न चोद दी, तो कहना!
और उसके बाद पापा ने अपनी जवानी का पूरा जोश दिखाया, मैं तो सोच सोच कि हैरान थी कि 60 साल में पापा में इतना जोश, इतनी जान?
कितनी देर वो मुझे नीचे लेटाए चोदते रहे, फिर बोले- चल घोड़ी बन! “Meri Chut Ki Bechaini”
मैं झट से उठ कर घोड़ी बन गई, फिर उन्होंने मेरे पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया और लगे पेलने!
मैंने कहा- पापा, मज़ा आ गया, इतना मज़ा तो मुझे राहुल ने नहीं दिया, आप सच में उसके भी बाप हो।
वो बोले- अरे तेरी आँख तो मैं पहले ही पहचान गया था, मगर मैंने यह नहीं सोचा था कि तू पके आम की तरह मेरी झोली में गिरेगी। मैं वैसे तेरी माँ पर फिदा हूँ, वो भी बहुत सुंदर औरत है, मगर तू तो बहुत ही बेसबरी निकली। एक महीना भी मुश्किल से काट पाई।
मैंने भी अपनी कमर आगे पीछे हिलाते हुये कहा- पापा, एक महीना नहीं, एक दिन नहीं काट पाई, मैं तो जिस दिन राहुल गए थे, उस दिन भी हाथ से किया था, और रोज़ रात को हाथ करती थी।
पापा बोले- अब तुझे हाथ से करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, अब जब भी ज़रूरत हो मेरे पास आ जाया कर!
और वो लगे पेलने…
पेलते पेलते मुझे वैसे ही लेटा दिया और मेरे ऊपर लेट कर पीछे से मेरी चूत मार रहे थे और मेरे दोनों बूब्स अपने हाथों में पकड़ के दबा रहे थे।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- पापा मेरा होने वाला है, मुझे सीधा होने दो। “Meri Chut Ki Bechaini”
पापा पीछे हटे, मैं सीधी हो कर लेटी और पापा फिर से मेरे ऊपर आ गए, मैंने अपने ससुर को अपने पति की तरह बाहों में भर लिया और अपनी टाँगें उनकी कमर पर लपेट ली, और चिपक गई उनके साथ!
वो धाड़ धाड़ मेरे घस्से मार रहे थे, मैं नीचे से उचक रही थी, जब मैं स्खलित हुई तो मैंने पापा के होंठो से अपने होंठ लगा दिये- पापा मेरे बूब्स दबाओ! और ज़ोर से दबाओ… और मेरे होंठ चूस लो, मेरी जीभ खा लो, और ज़ोर से चोदो, आह मारो, और मारो!
कहते कहते मैं झड़ गई और पापा से ऐसे चिपक गई जैसे गोंद लगा कर चिपका दिया हो किसी ने!
जब मैं शांत हुई तो आराम से लेट गई, अब पापा की बारी थी, मगर वो तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। मैंने पापा के सीने पर हाथ फेर कर कहा- पापा आप तो बहुत जवान मर्द हो, आपका तो हो ही नहीं रहा?
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वो बोले- अरे बेटा, देसी जड़ी बूटी खाता हूँ, इतनी जल्दी पानी नहीं गिरने दूँगा।
मैंने कहा- तो कोई बात नहीं जितनी देर आप कर सकते हो कर लो, मैं सारी रात ये कर सकती हूँ।
वो बोले- और मैं सारी रात ये कर सकता हूँ।
उसके बाद अगले 15 मिनट मेरी और जोरदार चुदाई हुई, और तब जा कर मेरे ससुरजी का माल झड़ा। कोई आधे घंटे से भी ज़्यादा उन्होंने मुझे चोदा… चूत की वो तसल्ली हुई, जिसे मैं कब से ढूंढ रही थी, उनके वीर्य से मेरी चूत भर गई। “Meri Chut Ki Bechaini”
मैं निश्चिंत, संतुष्ट लेटी ऊपर छत को देख रही थी और वैसे लेटी ही सो गई।
करीब सुबह चार बजे मुझे लगा फिर से जैसे ससुर जी ने मुझे सीधा किया, और फिर से चोदा मैंने तो आँखें खोल कर भी नहीं देखा। इस बार तो शायद 40-50 मिनट लगा दिये उन्होंने!
फिर मुझे गोद में उठा कर मेरे बेड पर लेटा गए।
सुबह जब 9 बजे के भी बाद मैं उठी, मेरे नाइट ड्रेस पहनी हुई थी। मैं उठ कर बाथरूम में गई, नहाते हुये शीशे में देखा, मेरे दोनों बूब्स पर यहाँ वहाँ उँगलियों के दांत काटने के निशान थे। कमर और पेट पर भी!
ससुर जी अपने रूम में थे, काम वाली ने चाय बना दी थी, मैं तैयार हो कर चाय लेकर खुद ससुर जी के कमरे में गई मगर उन्होंने ऐसे दिखाया जैसे कुछ हुआ ही नहीं।
अगले महीने राहुल वापिस आ रहे हैं, मुझे हमेशा के लिए अपने साथ कनाडा ले जाने!
अब मैं सोच रही हूँ कि जाऊँ या न जाऊँ?
अरे सच एक बात और… आई एम प्रेग्नेंट।
इसमें कोई शक नहीं कि यह बच्चा पापा की ही है, मगर क्या राहुल इसे कबूल करेंगे। “Meri Chut Ki Bechaini”