Delhi Gigolo Sex Service
सच कहते हैं लोग कि आज की दुनिया में अगर एहमियत है तो बस पैसों की! ज़ज्बात, इंसानियत और प्रेम हवस और पैसों की आग में झुलस चुका है। नहीं तो इश्क यू बाज़ार में बिकता नहीं… और हुस्न ऐसे सरेआम नीलाम न होता, उसकी बोलियाँ न लगाई जाती, उसकी आबरू को ऐसे बेपर्दा न किया जाता हवस के भूखों के आगे.. Delhi Gigolo Sex Service
यह कहानी मेरे दोस्त की है, श्रवण नाम है उसका! कहते हैं इन्सान के पैदा होते वक़्त ही यह निश्चित हो जाता है कि वो आगे क्या करेगा, वरना श्रवण जो एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से कॉमर्स में स्नातकोत्तर की उपाधि गोल्ड मैडल से पास था, किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो ऐसे पेशे में जाएगा। मुझे भी उसके पेशे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, बस इतना पता था कि वो बहुत कमाता है।
बात उस वक़्त की है जब मैं पहली बार दिल्ली गया था, पहाड़गंज पहुँच मैंने श्रवण को फ़ोन किया। एक वो ही था दिल्ली में जिसे मैं जानता था। उसने मुझे अपना पता नोट कराया और कहा कि ऑटो लो और इस पते पर पहुँचो। काफी शानदार अपार्टमेंट था, 107 उसका फ्लैट नंबर था।
दरवाज़ा खुला था, अन्दर आते ही मैंने देखा चार बेडरूम हॉल दिल्ली में और फ्लैट की हर चीज़ जैसे यहाँ रहने वाले की दौलत का बखान कर रही थी। एक खूबसूरत सी लड़की जो दिखने में विदेशी जैसी लग रही थी अचानक मेरे सामने आ गई।
मैंने कहा- ओह, माफ़ कीजियेगा, लगता है मैं गलत पते पर आ गया हूँ।
उसने पूछा- आप रघु हो न..? श्रवण सर बाहर क्लाइंट से मिलने गए हैं, बस आते ही होंगे…
मैंने राहत की सांस ली। वो मुझे कमरे में ले गई… मैं तो बस उसके कूल्हों को ही निहार रहा था। 5’8″ की लम्बाई और भरपूर जिस्म, कपड़ों में कैपरी और शॉर्ट टॉप ! अंगड़ाई ले तो ब्रा दिख जाये… जिसकी नीयत ना डोले वो मर्द ही नहीं… मैंने सोचा कि क्यों न मौके का फायदा उठाया जाये…
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बेड के पास आते ही जानबूझकर लड़खड़ा गया और बचने की कोशिश का बहाना करते हुए उसके लोअर को पकड़ लिया। अब मैं नीचे और वो मेरे ऊपर गिरी, उसके कूल्हे मेरे लिंग पर थे। वासना के वशीभूत इंसान को कुछ दिखाई नहीं देता, मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ, मैं हटने की कोशिश करने लगा।
मेरा लिंग अपने पूर्ण तनाव वाली स्थिति में था। अब यह तो और भी शर्मनाक स्थिति थी मेरे लिए ! मैंने बस अपनी आँखें बंद कर ली। तभी मुझे स्पर्श का अनुभव हुआ मेरे लिंग पर… हाथों को अपने लिंग से दूर करता हुआ उसे बाँहों में ले बिस्तर पे पटक दिया। वासना अब हम दोनों की आँखों में थी, मैंने पूछा- कौन हो तुम?
उसने पूछा- फिलहाल तुम्हें कौन चाहिए?
यह सवाल भी बड़ा अजीब सा था, मैंने कहा- गुलाम! जिसके साथ जो भी करूँ वो इन्कार ना करे..
जवाब में उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपने स्तनों पे रख दिया। मुझे मेरा जवाब मिल चुका था। उसके टॉप को ऊपर करता हुआ उसके हाथों के पास ले गया और उसी टॉप से उसके हाथ बांध दिए। उसके ब्रा के हुक को खोल दिया… अब ऊपर से पूरी नंगी थी। उसके पीठ पे चुम्बनों की जैसे झड़ी सी लगा दी मैंने!
थोड़ा नीचे होते हुए मैं उसके लोअर को उतारने जा रहा था कि तभी मुझे साइड में थोड़ा फटा हुआ दिखा, शायद गिरते वक़्त जो मैंने उसके लोअर का सहारा लिया था उसी में फट गया था। उसी में मैंने एक उंगली डाली और पूरा लोअर फाड़ डाला।
वो चिल्लाने लगी तो तुरंत उसे पलट के उसके मुंह में अपना पूरा लिंग दे दिया, जब उसका दम घुटने लगता तब लिंग बाहर निकाल लेता और जब सामान्य होती तो पुनः घुसा देता। उसी अवस्था में उसके लोअर के चीथड़े करने लगा, अब सिर्फ उसकी पैंटी रह गई थी।
उसे भी फाड़ के उसके जिस्म से अलग किया और अपने कपड़े उतार उसके ऊपर टूट पड़ा। उसके होंठ, गाल, गर्दन हर जगह मेरे वार के निशान छूटने लगे। अपने जिंदगी के अनुभवों से मैंने सीखा था कभी किसी पर भरोसा न करना, प्यार और प्यार करना मैं भूल ही चुका था…
अब ना तो किसी की तलाश थी न तो किसी का इंतज़ार ! बस एक आग थी मेरे अन्दर जो जला देना चाहती थी हर एक भावना को… हर उस एहसास को… हर उस याद को जो मेरे दिल में दबी हुई थी… शायद यही वजह थी कि मैं अपने आप में नहीं था। अब मेरा मुख उसके स्तनों पर था। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
आज मैं उस जाम का एक एक कतरा निचोड़ लेना चाह रहा था… उसके गौर वर्णीय स्तन गोधूलि वेला के आकाश जैसे लाल हो गये थे। अब धीरे धीरे मैं नीचे आता जा रहा था, मैं वज्र आसन में उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया, टांगों को कंधे पर रख कर उसकी कमर को पकड़ के खींच के उसके योनि द्वार को अपने मुख के पास ले आया।
इस आसन में उसका समूचा शरीर मेरे संपर्क में था, योनि मेरे मुख के, कूल्हे मेरी गर्दन के और मेरा एक हाथ उसके स्तनों के.. जब मैं थक गया तो फिर सामान्य आसन में उसके योनिरस का पान करने लगा। तभी उसके पैरों का घेराव जो मेरे शरीर के इर्द-गिर्द था, मुझे कसता हुआ महसूस हुआ और एक झटके से बाढ़ सी आ गई उसकी योनि में..
अब मैं फिर से उसके ऊपर था मेरे होंठ उसके होंठों से जा मिले। अपना हाथ पीछे कर उसके हाथों को बंधन से आज़ाद कर दिया। अब तो जैसे वो मेरे ऊपर छा सी गई। ऐसा लग रहा था मानो मेरे हर वार का बदला ले रही हो जैसे… उसके नाख़ून मेरे शरीर पर निशान छोड़ रहे थे।
उसके होंठों का एहसास मुझे अपने सारे जिस्म पर महसूस हो रहा था। नीचे होते हुए मेरे लिंग को अपने मुख में भर लिया उसने। अत्यधिक उत्तेजना की वजह से मैं स्खलित हो गया। वो सारा रस पी गई। अब मैं थोड़ा नियंत्रित था मेरी भावनाओं का ज्वार थम सा गया था।
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अपने अन्दर के दबे हुए एहसास को शायद मैंने और भी अपनी दिल की गहराइयों में धकेल चुका था। आँखें भरी हुई थी मेरी, और ऐसा लग रहा था जैसे नया जीवन पा लिया हो मैंने… पता नहीं कब पर श्रवण वहाँ आ गया था। बचपन में अक्सर हम नंगे होकर नदी में नहाया करते थे।
पर आज फिर वो नंगा था शायद काफी देर से हम दोनों को देख रहा था… तभी तो उसका लिंग पूरे उफान पर था। वो घोड़ी के आसन में आ गई, मेरा लिंग अपने मुख में भर लिया श्रवण पीछे से मज़े लेने लगा। थोड़ी देर बाद श्रवण ने कहा कि वो स्खलित होने वाला है।
फिर हम दोनों ने अपनी जगह बदल ली। अब मैं धक्के पे धक्का लगाये जा रहा था। मैं और श्रवण एक साथ स्खलित हो गए… एक साथ मुख और योनि में वीर्य भर जाने से वो तड़प सी गई और दौड़ कर बाथरूम में चली गई। मैं और श्रवण एक दूसरे की तरफ देख कर हंसने लगे… श्रवण ने मेरे हाथ पर मुक्का मारते हुए कहा- साले आते ही शुरू हो गया? वो मेरी कर्मचारी है।
मैंने पूछा- कौन सी कंपनी है तेरी?
वो थोड़ी देर चुप रहा, फिर उसने कहा- मैंने आज तक कोई बात तुझसे नहीं छुपाई है तो मैं बताता हूँ। दुनिया वालों के लिए मैं इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाता हूँ। पर असल में मैं दिल्ली की हाई प्रोफाइल पार्टी में लड़कियाँ सप्लाई करता हूँ। अभी मैं एक मंत्री जी से मिल कर आ रहा हूँ, कल उनकी एक गुप्त पार्टी है, उन्हें 22 लड़कियाँ चाहिए थी। मैं तो जैसे सन्न रह गया। एक बार तो आँखों के सामने सारी जिंदगी की यादें फ़्लैश बैक की तरह घूमने लगी। मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। इतना शांत व्यक्तित्व का व्यक्ति ऐसे पेशे में?
मैंने उससे पूछा- इतनी लड़कियाँ तेरे संपर्क में आई कैसे?
उसने कहा- यूँ तो हर शहर में ही लड़कियाँ ऐसे पेशे में होती हैं, पर वहाँ इन्हें पैसे भी कम मिलते हैं और बदनामी का खतरा सबसे ज्यादा होता है। मैंने शुरू में चार लड़कियाँ महीने की तनख्वाह पर रखी थी, धीरे धीरे वो ही सब से मिलवाती चली गई और आज मैं यहाँ तक पहुँच गया। इन्हें छोटे शहर से बुला कर एक महीने की ट्रेनिंग दी और फिर अपने साथ काम में लगाया। अब ये सब तराशे हुए हीरों की तरह हैं। “Delhi Gigolo Sex Service”
थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद श्रवण ने कहा- यह सब भूल जा! चल तुझे दिल्ली की पार्टी दिखाता हूँ..
श्रवण मुझे पार्टी में चलने को तैयार होने के लिए कह रहा था पर मेरे पास उस वक़्त उन हाई प्रोफाइल पार्टी में जाने वाले कपड़े थे नहीं तो मैं बार बार उसे मना कर रहा था। श्रवण ने ज्यादा जोर दिया तो मैंने अपनी परेशानी उसे बताई।
वो हंसने लगा, बोला- तू जैसा है वैसे ही चल।
काले रंग की रेंज रोवर थी। मैं अन्दर बैठ गया रास्ते में वो किसी मॉल में मुझे ले गया और कपड़े दिला दिए। थोड़ी देर में हम गुड़गांव के किसी फार्म हाउस में पहुँचे। श्रवण फ़ोन लगाने लगा, मैं तो बस इधर उधर देख रहा था। सचमुच आलिशान जगह थी वो ! पच्चीस एकड़ में फैला हुआ तो होगा ही ! हर चीज़ बड़ी करीने से रखी हुई थी, एक तरफ पंडाल लगा था, सफ़ेद संगमरमर का इस्तेमाल लगभग हर जगह किया गया था, बाहर तो जैसे लाल बत्ती वाली गाड़ियों का मेला सा लगा था।
तभी श्रवण आ गया बोला- अब चल अन्दर…
मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था कि पता नहीं क्या होगा अन्दर… बड़ा सा दरवाजा जैसे ही खुला तेज और बेहद तीखा धुँआ बाहर निकला मेरा तो जैसे खांसते खांसते बुरा हाल हो गया… श्रवण मेरे पास आया और कहने लगा- धीरे धीरे आदत हो जाएगी… जैसे ही मैं सामान्य हुआ, श्रवण मेरा हाथ पकड़ते हुए अन्दर ले गया.. “Delhi Gigolo Sex Service”
आज फिर एक बाज़ार सज़ा था… जिस्म की मंडी लगी थी… और हुस्न की नीलामी हो रही थी… पैसों की चमक से हवस को शांत किया जा रहा था। कभी किसी वेश्या की आँखों में झाँक के देखना दोस्त, वहाँ भी एक उम्मीद दिखेगी की कोई आकर उसकी आबरू बचा ले। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
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अजीब बात है न, जिसका काम अपनी आबरू बेच कर कमाना है वो भी ऐसी उम्मीद सजाती है। क्यों न सजाये उम्मीद, आखिर वो भी तो इंसान है आपकी और हमारी तरह ! अगर हम किसी ऊँची मंजिल पाने का ख्वाब सज़ा सकते है तो क्या वो अपनी दुनिया बसाने का ख्वाब नहीं देख सकती।
अन्दर तो जैसे अजीब माहौल था। हवा में चरस गांजे और सिगरेट की महक थी। मादकता अपने पूरे उफान पर थी। तेज संगीत शायद ब्राजीलियन संगीत था, वो बज रहा था। सामने एक भव्य स्टेज लगा था और फिर तो जैसे मेरी आँखें ही चौंधिया गई। वो स्टेज नहीं बल्कि रैंप था जहाँ लड़कियाँ बारी बारी से आ रही थी और अपना एक वस्त्र उतार कर दर्शकों में लुटा रही थी। और फिर पीछे लाइन में खड़ी हो जाती, उनमें कुछ तो विदेशी भी थी।
मैंने श्रवण से पूछा तो उसने बताया- ऐसी पार्टी में विदेशी लड़कियों के लिए दूसरे प्रबंधक रहते हैं। देशी लड़कियाँ जितनी भी है वो मेरी ही कर्मचारी हैं।
तभी वहाँ उपस्थित सभी लोग जोर जोर से चिल्लाने लगे। श्रवण मेरे पास से हट कर स्टेज पर चला गया। मैं भी कौतुहलवश उधर देखने लगा। एक एक कर अब सभी लड़कियाँ पूरी नंगी हो चुकी थी। उनमें से एक आगे श्रवण के पास आई और सामने पोल पकड़ कर बड़ी ही अदा से खड़ी हो गई। “Delhi Gigolo Sex Service”
नीचे खड़े लोग बोलियाँ लगाने लगे। मेरे लिए तो जैसे आश्चर्य की ही बात थी। जैसे ही एक की बोली समाप्त होती दूसरी सामने आ जाती। धीरे धीरे सभी की बोलियाँ लग गई। सभी अपनी खरीदी हुई लड़कियों को ले के अपने कमरों में चले गए। अब मैदान पूरा खली था। श्रवण मेरे पास हाथ में विदेशी शराब की बोतल लेते हुए आया। थोड़ी देर में हम दोनों ही नशे में थे।
उसने मुझसे कहा- यार, प्लीज यह बात हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए, मैं मजबूरी में इस दलदल में फंस गया हूँ और यहाँ से वापिस जाने का भी कोई रास्ता नहीं है।
मैंने कहा- रास्ता तो हर वक़्त सामने ही होता है, बस इंसान का खुद पर नियंत्रण होना चाहिए, फिर भी मैं यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रखूँगा…
हम अक्सर यह सोचते हैं कि गलत रास्तों से लौटने का कोई रास्ता नहीं होता पर असल में हमें उसकी आदत हो चुकी होती है। गलत रास्ते से मिलने वाली दौलत और शौहरत हमारी आँखों को अंधा कर चुकी होती है। हमें लगता है अब कुछ नहीं हो सकता।
पर असल में अन्दर ही अन्दर हमें यह पता होता है हम इस नशे से दूर नहीं जा सकते, गए तो जी नहीं पायेंगे। हम दोनों अभी बात ही कर रहे थे कि एक खूबसूरत सी लड़की आकर हमारे सामने खड़ी हो गई। ऐसा लगा मानो उस रात चाँद की चांदनी स्त्री रूप धारण कर मेरे सामने आ गई हो।
श्रवण ने मुझे उससे मिलवाया, कहा- ये निमरत संधू है…
मुझे कुछ समझ में ना आया।
तब श्रवण ने कहा- तुम इसे निम्मी बुला सकते हो। यह पंजाब के एक गाँव की रहने वाली है। मुझे तो देखने से एन आर आई लग रही थी। श्रवण ने कहा इसकी एक हफ्ते की ट्रेनिंग बाकी है, तुम्हीं दे दो… आज अपार्टमेंट में तो छा गए थे तुम। तेरे संपर्क में रहेगी तो सब सीख जायेगी। “Delhi Gigolo Sex Service”
मैं सोच रहा था कि पैसा भी क्या चीज़ है शीशे को भी छू जाए तो वो बहुमूल्य रत्न बन जाए। श्रवण उसे मेरे पास छोड़ अन्दर कहीं चला गया.. निम्मी मेरे पास आई और अपनी बांहें मेरे गले में डाल चिपक कर बैठ गई। मैं थोड़ा हटने को हुआ तो उसने मेरे गालों को चूम लिया और कहने लगी… “ओये सोहण्यो, हुण मैं त्वान्नू इस हफ़्ते ताईं नई छड्डांग़ी। मैन्नू सव कुज सखाओ !”
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मैंने उससे कहा- मुझे पंजाबी ज्यादा नहीं आती, मेरे साथ हिन्दी या अंग्रेजी में बात करो !
तो निम्मी बोली- जान, अब एक हफ्ते तक मैं तुम्हें छोड़ने वाली नहीं हूँ, मुझे सब कुछ सीखना है तुमसे !
मैंने कहा- मैं तो सिर्फ चुदना सिखा सकता हूँ।
वो मेरी गोद में बैठ गई और कहने लगी- तो चोद न मुझे !”
पर पता नहीं क्यों इतनी देर से इतनी लड़कियों को नंगा देख रहा था कि अब ये कामवाण भी मेरे लिंग को उफान पर लाने में असमर्थ हो रहे थे।
मैंने उससे कहा- कहीं बाहर खुले में चलो, यहाँ अजीब सी घुटन हो रही है…
उसने कहा- मैं तो अब उतरूंगी नहीं, तुम्हारी गोद में ही रहूंगी, तुम्हें जहाँ ले चलना है ले चलो।
मैंने उसे अपने हाथों में उठाया और लेकर बाहर आ गया.. आज तो स्त्री का एक नया ही रूप मेरे सामने था। वो चाहे कुछ भी कह ले कैसे भी कहे पर उसकी आँखें बहुत कुछ कहे जा रही थी। मैं उसे छू कर भी जैसे छू नहीं पा रहा था। वो मेरे गोद में थी पर अभी भी ऐसा लग रहा था जैसे मैं उससे कोसों दूर हूँ। प्यार और हवस में शायद यही अंतर था।
प्यार में तो कोई करीब ना भी हो तो भी उसके छूने का एहसास खुद ही महसूस होता है… और इस वक़्त मेरे इतने करीब होते हुए भी मुझसे बहुत दूर थी। अब थोड़ी राहत मिल रही थी। यह उस फार्म हाउस का पिछला हिस्सा था। इस हिस्से में पानी का फव्वारा लगा था, उसके चारों तरफ संगमरमर के बेंच लगे थे वो इतने चौड़े तो थे कि हमारा काम हो जाता। पास ही शराब का काउंटर लगा था।
मैंने निम्मी को बेंच पर लिटाया और बीयर की बोतल लेता आया। उसकी आँखें बंद थी… क्या लेटने का अंदाज़ था, उसका सफ़ेद बदन संगमरमर को चुनौती दे रहा था। इस मुज़स्स्मे के एक एक अंग को जैसे किसी संगतराश ने पूरी फ़ुर्सत में तराशा हो ! जैसे किसी बेहद माहिर जौहरी ने कोहिनूर से नूर लेकर इसके एक एक अंग में भरा हो !
गुलाबी रंग की फ्रॉक जो मुश्किल से पैंटी को छुपा रही थी, स्तनों के आकार तो नामर्द को भी पागल कर दे। मैं बीयर के ढक्कन हटा उसके पास गया और उसके पैरों पर डालते हुये ऊपर उसके स्तनों तक को नहला दिया। अब पैरों से ही मेरी जिव्हा ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया। “Delhi Gigolo Sex Service”
जहाँ तक बीयर की बूंदें छलकी थी वहाँ तक चूस चूस कर साफ़ करने लग गया। कपड़ो के ऊपर से ही पूरे जिस्म को चूमने के बाद अब उसके होंठों तक पहुँचा। गुलाबी होंठ जिससे अपने होंठों को अलग करने का जी ही नहीं कर रहा था। तभी निम्मी पलट गई और अपनी फ्रॉक की चेन खोलने की कोशिश करने लगी। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
मैं उसके हाथों को हटाता हुआ बांये हाथ से चेन खोल रहा था और दांये हाथ से बाकी बची बीयर उसकी पीठ पर डाल रहा था और अपने होंठों से उन बीयर की बूंदों को साफ़ भी करता जा रहा था। निम्मी तो जैसे पागल हुई जा रही थी। वो पल्टी और मुझे उस बेंच पर उसने पटक दिया। खुद नंगी हुई और मुझे भी नंगा कर दिया।
मैंने उसे रोकते हुए गले से लगा लिया और धीरे से उसके कान में कहा- जान, ट्रेनिंग मैं दे रहा हूँ।
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अब एक और बोतल का ढक्कन खुला और मेरे पूरे शरीर पर उसने उसे उड़ेल दिया। अब बारी बारी सारी बूँदें अपनी जीभ से साफ़ करने लगी। साफ करते हुए मेरे लिंग तक पहुँची और अपनी जिह्वा के वार से उसे घायल करने लगी। जब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो उसे उठा कर अपने नीचे कर लिया अब मेरा लिंग उसकी योनि को छू रहा था…
निम्मी ने अपने हाथों से मेरे लिंग को दिशा दी और मैंने भी पूरे जोश में एक जोरदार धक्का दे दिया। निम्मी की तो जैसे चीख ही निकल गई। अब मैं खुद को नियंत्रित करने में असमर्थ था। उसकी टांगों को अपने कंधें पे रखा और उसके नितम्ब बेंच के कोने से टिका दिए, खुद नीचे खड़ा हो धक्के लगाने लगा। करीब दस मिनट बाद मेरा झड़ने को हुआ तो योनि से निकाल अपना लिंग उसके मुख में दे दिया। उसकी प्रशिक्षित जिह्वा और हाथ जल्द ही मुझे निचोड़ गए, सारा रस वो पी गई। फिर हमने फव्वारे में नहाते हुए एक बार और काम क्रिया का आनन्द लिया।
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