Hot Bhabhi Jism XXX
जब मैं कुवांरी थी तब मेरी चुदने की इच्छा कम होती थी। क्यूंकि मुझे इस बारे में अधिक नहीं मालूम था। आज मेरी शादी हुए लगभग पांच साल हो चुके हैं, मैं बेशर्मी की हदें पार करके सभी तरीको से अपने पति से चुदवा चुकी हूँ। जी हां ! बिल्कुल अनजान बन कर ! भोली बन कर ! और मासूम बन कर… ! जैसे कि मैं सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती हूं। Hot Bhabhi Jism XXX
यही भोलापन, मासूमियत उनके लण्ड को खड़ा कर चोदने पर मजबूर कर देती थी। आप ही बताईये, लड़कियां जब भोली बन कर, अनजान बनकर और मासूम सा चेहरा लेकर लण्ड लेती हैं तब पति को लगता है कि मेरी बीवी सती सावित्री है… पर वो क्या जाने, हम लोग भोली बनकर ऐसे ऐसे मोटे मोटे और लम्बे लण्ड डकार जाती हैं कि उनके फ़रिश्तों तक को पता नहीं चल पाता है।
पर अब बड़ी मुश्किल आन पड़ी है। वो छ्ह माह के लिये लन्दन चले गये हैं… मुझे यहां अकेली तड़पने के लिये छोड़कर। पर हां ! यह उनका उपकार है कि मेरी देखभाल करने के लिये उन्होंने अपने दोस्त के बेटे को कह दिया था कि वह मेरा ख्याल रखे। जानते हैं आप, उसने कैसा ख्याल रखा… मुझे चोद चोद कर बेहाल कर दिया… नए नए तरीकों से ! मुझे खूब चोदा… क्या हुआ था आप जानना चाहेंगे ना…
मेरे पति के लन्दन जाने के बाद रात को वह लड़का खाना खा कर मेरे यहां सोने के लिये आ जाता था। गर्मी के दिन थे… मैं अधिकतर छत पर ही अकेली सोती थी। कारण यह था कि रात को अक्सर मेरी वासना करवटें लेने लगती थी। बदन आग हो जाता था। मैं अपना जिस्म उघाड़ कर छत पर बेचैनी के कारण मछली की तरह छटपटाने लग जाती थी।
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पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत को नंगी कर लेती थी, ब्लाऊज उतार फ़ेंकती थी। ठण्डी हवा के मस्त झोंके मेरे बदन को सहलाते थे। पर बदन था कि उसमें शोले और भड़क उठते थे। उंगली डालकर मैं काम चलाती थी… फिर जब मेरे शरीर से काम-रस बाहर आ जाता था तब चैन मिलता था।
आज भी आकाश में हल्के बादल थे। हवा चल रही थी… मेरे जिस्म को गुदगुदा रही थी। एक तरावट सी जिस्म में भर रही थी। मन था कि उड़ा जा रहा था। उसी मस्त समां में मेरी आंख लग गई और मैं सो गई। अचानक ऐसा लगा कि मेरे शरीर पर पानी की ठण्डी बूंदे पड़ रही हैं। मेरी आंख खुल गई।
हवा बन्द थी और बरसात का सा मौसम हो रहा था। तभी टप टप पानी गिरने लगा। मुझे तेज सिरहन सी हुई। मेरा बदन भीगने लगा। जैसे तन जल उठा। बरसात तेज होती गई… बादल गरजने लगे… बिजली तड़पने लगी… मैंने आग में जैसे जलते हुये अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया, अपना ब्लाऊज सामने से खोल लिया।
बदन जैसे आग में लिपट गया… मैंने अपने स्तन भींच लिये… और सिसकियाँ भरने लगी। मैं भीगे बिस्तर पर लोट लगाने लगी। अपनी चूत बिस्तर पर रगड़ने लगी। इस बात से अनजान कि कोई मेरे पास खड़ा हुआ ये सब देख रहा है। “भाभी… बरसात तेज है… नीचे चलो !”
मेरे कान जैसे सुन्न थे, वो बार बार आवाज लगा रहा था। जैसे ही मेरी निन्द्रा टूटी… मैं एकाएक घबरा गई। “अरे… तू कब आया ऊपर…” मैंने नशे में कहा। “राम कसम भाभी मैंने कुछ नहीं देखा… नीचे चलो” वो बोला. वह शर्म से लाल हो रहा था। “क्या नहीं देखा…. चुपचाप खड़ा होकर देखता रहा और कहता है कुछ नहीं देखा” मेरी चोरी पकड़ी गई थी।
उसके लण्ड का उठान पजामें में से साफ़ नजर आ रहा था। अपने आप ही जैसे वह मेरी चूत मांग रहा हो। मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और उसे दबोच लिया… कुछ ही पलों में वो मुझे चोद रहा था। अचानक मैं जैसे जाल में उलझती चली गई।
मुझे जैसे किसी ने मछली की तरह से जाल में फ़ंसा लिया था, मैं तड़प उठी… तभी एक झटके में मेरी नींद खुल गई। मेरा सुहाना सपना टूट गया था। मेरी मच्छरदानी पानी के कारण मेरे ऊपर गिर गई थी। वो उसे खींच कर एक तरफ़ कर रहा था। मेरा बदन वास्तव में आधा नंगा था। जिसे वह बड़े ही चाव से निहार रहा था।
“भाभी… पूरी भीग गई हो… नीचे चलो…” उसकी ललचाई आंखे मेरे अर्धनग्न शरीर में गड़ी जा रही थी। मुझ पर तो जैसे चुदाई का नशा सवार था। मैंने भीगे ब्लाऊज ठीक करने की कोशिश की… पर वो शरीर से जैसे चिपक गया था। “अरे जरा मदद कर… मेरा ब्लाऊज ठीक कर दे !” वह मेरे पास बैठ गया और ब्लाऊज के बटन सामने से लगाने लगा.
उसकी अंगुलियाँ मेरे गुदाज स्तनों को बार बार छू कर जैसे आग लगा रही थी। उसके पजामे में उसका खड़ा लण्ड जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा था। “भाभी , बटन नहीं लग रहा है… ” “ओह… कोशिश तो कर ना… ” वह फिर मेरे ब्लाऊज के बहाने स्तनों को दबाने लगा… जाने कब उसने मेरे ब्लाऊज को पूरा ही खोल दिया और चूंचियां सहलाने लगा।
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मेरी आंखे फिर से नशे में बंद हो गई। मेरा जिस्म तड़प उठा। उसने धीरे से मेरा हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया। मैंने लण्ड को थाम लिया और मेरी मुठ्ठी कसने लगी। बरसात की फ़ुहारें तेज होने लगी। वह सिसक उठा। मैंने उसके भीगे बदन को देखा और जैसे मैं उस काम देवता को देख कर पिघलने लगी। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
चूत ने रस की दो बूंदें बाहर निकाल दी। चूचियां का मर्दन वो बड़े प्यार से कर रहा था। मेरे चुचूक भी दो अंगुलियों के बीच में सिसकी भर रहे थे। मेरी चूत का दाना फ़ूलने लगा था। अचानक उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया और दाने पर उसकी रगड़ लग गई।
मैं हाय करती हुई गीले बिस्तर पर लुढ़क गई। मेरे चेहरे पर सीधी बारिश की तेज बूंदे आ रही थी। गीला बिस्तर छप छप की आवाज करने लगा था। “भाभी… आप का जिस्म कितना गरम है… ” उसकी सांसे तेज हो गई थी। “आह , तू कितना अच्छा है रे… ” उसके हाथ मुझे गजब की गर्मी दे रहे थे।
“भाभी… मुझे कुछ करने दो… ” उसका अनुनय विनय भरा स्वर सुनाई दिया।” “कर ले, सब कर ले मेरे प्यारे देवर… कुछ क्यों… आजा मेरे ऊपर आ जा… हाय, मेरी जान निकाल दे…” मेरी बुदबुदाहट उसके कानो में जैसे अमृत बन कर कर उतर गई। वो जैसे आसमान बन कर मेरे ऊपर छा गया… नीचे से धरती का बिस्तर मिल गया… मेरा बदन उसके भार से दब गया… मैं सिसकियाँ भरने लगी।
कैसा मधुर अनुभव था यह… तेज वर्षा की फ़ुहारों में मेरा यह पहला अनुभव… मेरी चूत फ़ड़क उठी, चूत के दोनों लब पानी से भीगे हुये थे… तिस पर चूत का गरम पानी… बदन जैसे आग में पिघलता हुआ, तभी… एक मूसलनुमा लौड़ा मेरी चूत में उतरता सा लगा।
वो उसका मस्त लण्ड था जो मेरे चूत के लबों को चूमता हुआ… अन्दर घुस गया था। मेरी टांगे स्वतः ही फ़ैल गई… चौड़ा गई… लण्ड देवता का गीली चूत ने भव्य स्वागत किया, अपनी चूत के चिकने पानी से उसे नहला दिया। वह लाईन क्लीअर मान कर मेरे से लिपट पड़ा और चुम्मा चाटी करने लगा…।
मैं अपनी आंखें बंद करके और अपना मुख खोल कर जोर जोर से सांस ले रही थी… जैसे हांफ़ रही थी। मेरी चूचियां दब उठी और लण्ड मेरी चूत की अंधेरी गहराईयों में अंधों की तरह घुसता चला गया। लगा कि जैसे मेरी चूत फ़ाड़ देगा। अन्दर शायद मेरी बच्चेदानी से टकरा गया।
मुझे हल्का सा दर्द जैसा हुआ। दूसरे ही क्षण जैसे दूसरा मूसल घुस पड़ा… मेरी तो जैसे हाय जान निकली जा रही थी… सीत्कार पर सीत्कार निकली जा रही थी। मैं धमाधम चुदी जा रही थी… उसको शायद बहुत दिनों के बाद कोई चूत मिली थी, सो वो पूरी तन्मयता से मन लगा कर मुझे चोद रहा था।
बारिश की तेज बूंदें जैसे मेरे तन को और जहरीला बना रही थी। वह मेरे तन पर फ़िसला जा रहा था। मेरा गीला बदन… और उसका भीगा काम देवता सा मोहक रूप… गीली चूत… गीला लण्ड… मैं मस्तानी हो कर लण्ड ले रही थी। मेरे शरीर से अब जैसे शोले निकलने लगे थे… मैंने उसके चूतड़ों को कस लिया और उसे कहा, अरे… नीचे आ जाओ… अब मुझे भी चोदने दो !
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“पर भाभी, चुदोगी तो आप ही ना…” वह वर्षा का आनन्द लेता हुआ बोला। “अरे, चल ना, नीचे आ जा…” मैं थोड़ा सा मचली तो वो धीरे से मुझे लिपटा कर पलट गया। अब मेरी बारी थी, मैंने चूत को लण्ड पर जोर दे कर दबाया। उसका मूसल नुमा लण्ड इस बार मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ मारता हुआ सीधा जड़ तक आ गया। मेरे लटकते हुये स्तन उसके हाथ में मसले जा रहे थे।
उसकी एक अंगुली मेरे चूतड़ों की दरार में घुस पड़ी और छेद को बींधती हुई गाण्ड में उतर गई। मैं उसके ऊपर लेट गई और अपनी चूत को धीरे धीरे ऊपर नीचे रगड़ कर चुदने लगी। बारिश की मोटी मोटी बूंदें मेरी पीठ पर गिर रही थी। मैंने अपना चेहरा उसकी गर्दन के पास घुसा लिया और आंखें बन्द करके चुदाई का मजा लेने लगी। “Hot Bhabhi Jism XXX”
हम दोनों जोर जोर से एक दूसरे की चूत और लण्ड घिस रहे थे… मेरे आनन्द की सीमा टूटती जा रही थी। मेरा शरीर वासना भरी कसक से लहरा उठा था। मुझे लग रहा था कि मेरी रसीली चूत अब लपलपाने लगी थी। मेरी चूत में लहरें उठने लगी थी। फिर भी हम दोनों बुरी तरह से लिपटे हुये थे। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
मेरी चूत लण्ड पर पूरी तरह से जोर लगा रही थी… बस… कितना आनन्द लेती, मेरी चूत पानी छोड़ने लिये लहरा उठी और अन्ततः मेरी चूत ने पानी पानी छोड़ दिया… और मैं झड़ने लगी। मैं उस पर अपना शरीर लहरा कर अपना रज निकाल रही थी। मैं अब उससे अलग हो कर एक तरफ़ लुढ़क गई।
वह उठ कर बैठ गया और अपने लण्ड को दबा कर मुठ मारने लगा… एक दो मुठ में ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया और बरसात की मूसलाधार पानी के साथ मिल कहीं घुल गया। हम दोनों बैठे बैठे ही गले मिलने लगे… मुझे अब पानी की बौछारों से ठण्ड लगने लगी थी। मैं उठ कर नीचे भागी। वह भी मेरे पीछे कपड़े ले कर नीचे आ गया।
मैं अपना भीगा बदन तौलिये से पोंछने लगी। उस ने गीले कपड़े एक तरफ़ रख दिये और भाग कर मेरे पीछे चिपक गया। “भाभी मत पोंछो, गीली ही बहुत सेक्सी लग रही हो !” “सुन रे, तूने अपनी भाभी को तो चोद ही दिया है , अब सो जा, मुझे भी सोने दे !”
“नहीं भाभी… मेरे लण्ड पर तो तरस खाओ… देखो ना आपके चूतड़ देख कर कैसा कड़क हो रहा है… प्लीज… बस एक बार… अपनी गाण्ड का मजा दे दो… मरवा लो प्लीज… ” “हाय ऐसा ना बोल… सच मेरी गाण्ड को लण्ड के मजे देगा… ?” मुझे उसका ये प्रेमभाव बहुत भाया और मैंने उसके लण्ड पर अपनी कोमल और नरम पोन्द दबा दिये।
उसका फिर से लण्ड तन्ना उठा। ” भाभी मेरा लण्ड चूसोगी… बस एक बार… फिर मैं भी आपकी भोसड़ी को चूस कर अपको मजा दूंगा !” “हाय मेरे राजा… तू तो मेरा काम देवता है… “मैंने अपने चूतड़ों में से उसका लण्ड बाहर निकाल लिया और नीचे झुकती चली गई। “Hot Bhabhi Jism XXX”
उसका लण्ड आगे से मोटा नहीं था पर पतला था, उसका सुपाड़ा भी छोटा पर तीखा सा था, पर ऊपर की ओर उसका डण्डा बहुत ही मोटा था। सच में किसी मूली या मूसल जैसा था। मैंने मुठ मारते हुये उसे अपने मुख में समा लिया और कस कस कर चूमने लगी। मुझे भी लग रहा था कि अब वह भी मेरी भोसड़ी को चूस कर मेरा रस निकाले।
मैंने जैसे ही उसका लण्ड चूसते हुये ऊपर देखा तो एक बार में ही वो समझ गया। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी चूत पर उसके होंठ जम गये। उसकी लपलपाती हुई जीभ मेरी चूत के भीतरी भागों को सहला रही थी। जीभ की रगड़ से मेरा दाना भी कड़ा हो गया था।
मैं सुख से सराबोर हो रही थी। तभी उसने तकिया लेकर कहा कि अपनी चूतड़ के नीचे ये रख लो और गाण्ड का छेद ऊपर कर लो। पर मैंने जल्दी से करवट बदली और उल्टी हो गई और अपनी चूत को तकिये पर जमा दी। मैंने अपनी दोनों टांगे फ़ैला कर अपना फ़ूल सा भूरा गुलाब खिला कर लण्ड़ को हाज़िर कर दिया।
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उसका मूसल जैसा लण्ड चिकनाई की तरावट लिये हुये मेरे गुलाब जैसे नरम छेद पर दब गया। मैंने पीछे घूम कर उसे मुस्करा कर देखा। दूसरे ही क्षण लण्ड मेरी गाण्ड पर घुसने के लिये जोर लगा रहा था। मैंने अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ा और लण्ड का स्वागत किया। “Hot Bhabhi Jism XXX”
वो धीरे धीरे प्यार से अंधेरी गुफ़ा में रास्ता ढूंढता हुआ… आगे बढ़ चला। मेरी गाण्ड तरावट से भर उठी। मीठी मीठी सी गुदगुदी और मूसल जैसा लण्ड, पति से गाण्ड मराने से मुझे इस लण्ड में अधिक मजा आ रहा था। उसके धक्के अब बढ़ने लगे थे। मेरी गाण्ड चुदने लगी थी।
मैं उसे और गहराई में घुसाने का प्रयत्न कर रही थी। मेरे चूतड़ ऊपर जोर लगाने लगे थे। उसने मौका देखा और थोड़ा सा जोर लगा कर एक झटके में लण्ड को पूरा बैठा दिया। मैं दर्द से तड़प उठी। “साला लण्ड है या लोहे की रॉड… चल अब गाड़ी तेज चला…” वो मेरी पीठ पर लेट गया।
उसके हाथ मेरे शरीर पर चूंचियाँ दबाने के लिये अन्दर घुस पड़े… मैंने जैसे मन ही मन उस को धन्यवाद दिया। दोनों बोबे दबा कर उसकी कमर मेरी गाण्ड पर उछलने कूदने लगी। मैं खुशी के मारे आनन्द की किलकारियाँ मारने लगी। सिसकी फ़ूट पड़ी… ।
उसके सेक्सी शरीर का स्पर्श मुझे निहाल कर रहा था। मेरी चूंचियाँ दबा दबा कर उसने लाल कर दी थी। उसका लण्ड मेरी गाण्ड की भरपूर चुदाई कर रहा था। मेरी चूत भी चूने लग गई थी। उसमें से भी पानी रिसने लगा था। मेरी गाण्ड में मनोहारी गुदगुदी उठ रही थी, अब तो मेरी चूत में भी मीठी सी सुरसराहट होने लग गई थी। “Hot Bhabhi Jism XXX”
मेरी चूत लण्ड की प्यासी होने लगी। हाय… कितना अच्छा होता कि अब ये लण्ड मेरी चूत की प्यास बुझाता… मैंने गाण्ड मराते हुये घूम कर उस को आंख से इशारा किया। “आह्ह नहीं भाभी… तंग गाण्ड का मजा ही जोर का है… पानी निकालने दो प्लीज !” “हाय रे फिर कभी गाण्ड चोद लेना, अभी तो मेरी चूत मार दे !”
“तो ये ले भोसड़ी की… हाय भाभी सॉरी… गाली मुँह से निकल ही गई !” “नहीं रे चुदाते समय सब कुछ भला सा लगता है… ” फिर मेरे मुख से सीत्कार निकल पड़ी। उसने अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से घुसेड़ दिया था… बस लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत को मिला… मेरी चूत फ़ड़क उठी।
लड़कियों की चूत में लण्ड घुसा और वो सीधे स्वर्ग का आनन्द लेने लगती है। मेरी चूत की कसावट बढ़ने लगी… वो मेरे पीठ पर सवार हो कर चूत चोद रहा था। उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा… शायद लण्ड को अन्दर पेलने में तकलीफ़ हो रही थी। मेरी गाण्ड ऊंची होते ही उसका लण्ड चूत में यूं घुस गया जैसे कि किसी बड़े छेद में बिना किसी तकलीफ़ सीधे सट से मोम में घुस गया हो।
मेरी चूत बहुत गीली हो गई थी। किसी बड़े भोसड़े की तरह चुद रही थी… उसने मेरे स्तन एक बार फिर से पकड़ते हुये अपनी ओर दबा लिये। मुझे चुचूकों को दबाने से और चूत में मूसल की रगड़ से मस्ती आने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत को तेजी से झटके मार मार कर चोद रहा था। “Hot Bhabhi Jism XXX”
अचानक उसका चोदने का तरीका बदल गया। करारे शॉट पड़ने लगे। मेरी चूत मे तेज आनन्द दायक खुजली उठने लगी। लगा कि चूत पानी छोड़ देगी। “मां… मेरी… दीईईईपूऊऊऊ चोद मार रे… निकाल दे फ़ुद्दी का पानी… हाय राम जीऽऽऽऽ… मेरी तो निकल गई राजा… आह्ह्ह्ह” और मैंने अपना पानी छोड़ दिया… उसका हाथ स्तनों पर से खींच कर हटाने लगी…
“बस छोड़ दे अब… मत कर जल रही है…” पर उसे कहाँ होश था… मैं दर्द के मारे चीख उठी और… उसका माल छूट गया… उसकी चीख ने मेरी चीख का साथ दिया… उसका लण्ड बाहर निकल आया और अपना वीर्य बिस्तर पर गिराने लगा। कुछ देर तक यूं ही माल निकलने का सिलसिला चलता रहा। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
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फिर उस बिस्तर से उठे और हम दोनों दूसरे बिस्तर पर नंगे ही जाकर लेट गये… और फिर जाने कब हम दोनों ही सो गये। मुझे लगा कि कोई मुझे बुरी तरह झकझोर रहा है… मेरी आंख खुल गई… सवेरा हो चुका था… पर वो… मेरी चूत में अपना लण्ड घुसाने का प्रयत्न कर रहा था…
मुझे हंसी आ गई… मैंने अपनी दोनों टांगें पसार दी और उसका लण्ड अपनी चूत में समेट लिया। उसे अपने से कस कर सुला लिया। मैं सुबह सवेरे फिर से चुद रही थी… मुझे अपनी सुहागरात की याद दिला रही थी… सोना नहीं… बस चुदती रहो… सुबह चुदाई, दिन को चुदाई रात को तो पूछो मत… शरीर की मां चुद जाती थी… हाय मैंने ये क्या कह दिया……
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